कमल जगाती
विश्वविख्यात पर्वतारोही बछेंद्री पाल को पद्म भूषण, प्रसिद्ध लोक गायक प्रीतम भरतवाण एवं विख्यात छायाकार (फोटोग्राफर ) अनूप शाह को पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किए जाने की आज घोषणा किए जाने प्रदेश में खुशी की लहर है। यह पहला मौका है जब उत्तराखंड से तीन तीन विभूतियों को यह सम्मान मिला है। सोशल मीडिया पर यह तीनों विभूतियां जमकर ट्रेंड कर रही हैं।
लोग पहली बार इन सम्मानों को अपना सम्मान भी समझ रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक बड़ा रुझान यह है कि सभी इन विभूतियों के साथ अपने पहले की खींचे हुए यादगार पलों को फिर से ताजा कर रहे हैं और लोगों से भी साझा कर रहे हैं तो कुछ उनसे जुड़े स्मरणों को फेसबुक पर पोस्ट कर रहे हैं।
लोक गायक प्रीतम भरतवाण ने पदम श्री से नवाजे जाने पर कहा कि यह सम्मान उत्तराखंड के लोक वाद्य, लोक कलाकारों और लोक संस्कृति का सम्मान है। वहीं पर्वतारोही बछेंद्री पाल ने पदम भूषण सम्मान को महिला सशक्तिकरण का सम्मान बताया है।
हिमालय ऊंचा या बछेंद्री पाल
थके और निराश लोगों के लिए उत्तराखंड मे एक कहावत बन गई है,-” हिमालय ऊंचा या बछेंद्री पाल !”
पदम भूषण सम्मान से नवाजे जाने पर पर्वतारोही बछेंद्री पाल ने कहा है कि वह पहले की तरह ही महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए समर्पित रहेंगी। इससे पहले पदम श्री आदि कई सम्मान से नवाजी जा चुकीं बछेंद्री पाल अब तक साढे चार हजार लड़कियों को प्रशिक्षित कर चुकी हैं।
बचेंद्री पाल का जन्म उत्तरकाशी के नाकुरी गांव में 1954 में हुआ था। बेहद गरीब परिवार से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली बछेंद्री पाल ने 23 मई 1984 को एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया था। वर्तमान में बचेंद्री पाल टाटा स्टील जमशेदपुर में कार्यरत हैं।
जागर सम्राट प्रीतम के हुनर और विनम्रता के सभी कायल
लोक गायक प्रीतम सिंह भरतवाण को पदम श्री मिलने के बाद लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। 1988 में आकाशवाणी से गाने की शुरुआत करने वाले प्रीतम सिंह के 50 से अधिक एल्बम निकल चुके हैं और 2 दर्जन से अधिक देशों में वह अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
जागर गायन के अलावा एक बेहतरीन ढोल वादक प्रीतम विदेशों में भी ढोल वादन सिखा रहे हैं और विदेशों में भी उनके कई चाहने वाले हैं।
अनूप शाह की फोटोग्राफी से दीवारें भी बोल उठती हैं
उत्तराखंड में कहीं कोई झील- पहाड़- नदी- झरने की फोटो अपनी ओर खींच ले तो यकीन मानिए 100 में से 90% मामलों में वह अनूप शाह की खींची हुई फोटो ही होगी !
केंद्र सरकार के पद्म श्री.और पद्म भूषण पुरस्कारों के नामों की घोषणा करने के बाद उत्तराखण्ड में रहने वाले जाने माने फोटोग्राफर और पर्वतारोही अनूप साह ने खुशी जाहिर की है और अपना पुरस्कार हिमालय क्षेत्र में रहने वाले लोगों को समर्पित किया है।
शुक्रवार देर रात मीडिया से बात करते हुए विश्व के जाने माने फोटोग्राफर और हिमालय पर्वत को कई बार फतह(चढ़कर)आए नैनीताल निवासी अनूप साह ने बताया कि ये उनके लिए सुखद अनुभव से कम नहीं है।उन्होने कहा कि उन्होंने इसके लिए कोई प्रयास नहीं किये थे और उनको एकाएक इसकी जानकारी मिलने पर आश्चर्य हुआ। अनूप साह ने प्रधानमंत्री को भी उनकी कला पहचानने और पुरस्कृत करने के लिए धन्यवाद किया है। उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों में रहकर काम करने के लिए अपना पुरस्कार हिमालय वासियों को समर्पित किया है ।
पदम श्री सम्मान से नवाजे गए प्रसिद्ध फोटोग्राफर अनूप शाह की फोटोग्राफी के मुख्य विषय प्रकृति ही है।
एक बेहतरीन पर्यावरणविद और पर्वतारोही अनूप शाह के फोटोग्राफ राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों की जान रहते हैं। 6611 मीटर ऊंची दुर्गम चोटी नंदा खाट को पहली बार अनूप शाह ने ही 1970 में फतेह किया था। पर्वतारोहण और हिमालय को आर पार नापने वाले अनूप शाह को पदम श्री मिलने से उत्तराखंड में खुशी की लहर है।
सांसद बलूनी ने भी दी बधाई
उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने भी उत्तराखंड की तीन विभूतियों को पद्म पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किए जाने पर भारत सरकार और पद्म पुरस्कारों की जूरी का आभार जताया है और पुरस्कृत विभूतियों को शुभकामनाएं प्रेषित की हैं।
श्री बलूनी ने कहा कि उत्तराखंड जैसे छोटे से राज्य से तीन विभूतियों को एक साथ सम्मानित किया जाना उत्तराखंड की मेधा और मिट्टी का सम्मान है।