गोविंद बल्लभ पंत इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी घुड़दौड़, पौड़ी गढ़वाल में असिस्टेंट प्रोफेसर की वर्तमान चयन प्रक्रिया में हो रही धांधली का मुद्दा पर्वतजन में उठने के बाद उत्तराखंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के कुलपति ने इस पूरी भर्ती प्रक्रिया से किनारा कर लिया है।
जाहिर है कि जब भी कभी जांच होगी तो इस भर्ती में शामिल सभी अफसरों पर गाज गिरनी तय है। पर्वतजन ने यह भर्तियां होने से पहले ही इसमें बड़े घोटाले का खुलासा कर दिया था। चयनित होने से रह गए अभ्यर्थियों ने भी इस पूरी भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। आइए इन सवालों का अवलोकन करें तथा खुद ही अंदाजा लगाइए कि यह कितना बड़ा घोटाला है !
पहली आपत्ति
मानtनीय सर्वोच्च न्यायालय के आधार आदेशानुसार उच्च शैक्षणिक संस्थानों में विभाग अनुसार आरक्षण की व्यवस्था तय की गई है, जिसको इस नियुक्ति प्रक्रिया में लागू नहीं कर के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना की गई है।
दूसरी आपत्ति
उत्तराखंड सरकार द्वारा आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की घोषणा के बावजूद इसको लागू नहीं किया गया है। जबकि गुजरात में 20 जनवरी 2019 को लोक सेवा आयोग की परीक्षा को रद्द कर दिया गया।
तीसरी आपत्ति
कॉलेज में वर्तमान में कार्यरत संविदा सहायक प्रोफेसर के नियमितीकरण के मामले में माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड द्वारा 10 हफ्तों के भीतर नियमित करने का आदेश दिया गया था। जिसको उत्तराखंड सरकार द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है जो कि अभी भी विचाराधीन है। इन सब के बावजूद कॉलेज द्वारा इन्हीं पदों पर भर्ती प्रक्रिया कराई गई है जो कि वैध नहीं है।
चौथी आपत्ति
वर्तमान कॉलेज के निदेशक कार्यवाहक पद पर हैं जो कि इस स्थाई शिक्षकों की चयन परीक्षा को करा रहे हैं, जो कि अवैध है।
पूर्व में भी दिनांक 1 जून 2018 को निदेशक की नियुक्ति कॉलेज प्रशासन द्वारा प्रकाशित की गई थी और उस को निरस्त करते हुए दिनांक 23 जनवरी 2019 को पुनः नई नियुक्ति निकाली गई थी। इससे स्पष्ट है कि वर्तमान कार्यवाहक निदेशक अपने कार्यकाल में ही इन साक्षात्कारों को संपन्न कराने के लिए तत्पर हैं, जबकि उत्तराखंड सरकार के शासनादेश और सुप्रीम कोर्ट की आर्डर के अनुसार कार्यवाहक निदेशक अस्थाई शिक्षकों की भर्ती नहीं करा सकता।
पांचवीं आपत्ति
वर्तमान में नियुक्ति प्रक्रिया में परीक्षा के प्रारूप की जानकारी पूर्ण रूप से न देकर जल्दी बाजी में एडमिट कार्ड वितरित कर दिए गए। यह तरकीब चहेतों को नियुक्त करने के लिए अपनाई गई।
छठी आपत्ति
परीक्षा के एडमिट कार्ड में साइंटिफिक केलकुलेटर को ले जाने की अनुमति दी गई थी, परंतु परीक्षा के दौरान अभ्यर्थी को इससे वंचित रखा गया। जिस कारण अभ्यर्थी लिखित परीक्षा को 1 घंटे में हल करने में असमर्थ रहे।
सातवीं आपत्ति
नियुक्ति प्रक्रिया में दिए गए एडमिट कार्ड में लिखित परीक्षा 3 फरवरी 2019 एवं साक्षात्कार 5 फरवरी 2019 को कराया जाना प्रस्तावित था, जबकि लिखित परीक्षा के परिणाम की जानकारी अभ्यर्थियों को नहीं दी गई।
आठवीं आपत्ति
लिखित परीक्षा परिणाम 5 फरवरी 2019 को मध्य रात्रि 12:15 पर बिना उत्तर कुंजी डाले वेबसाइट पर अपलोड किया गया। जिसमें अभ्यर्थियों को प्रश्न पत्रों से संबंधित आपत्तियों को दर्ज कराने के लिए भी समय ना देकर इसी दिन दिनांक 5 फरवरी को ही साक्षात्कार करा दिया गया। यह इसलिए किया गया ताकि सिर्फ चहेते ही साक्षात्कार में आ सकें।
नौवीं आपत्ति
कई अभ्यर्थी पहले से ही आश्वस्त थे कि एक घंटे का पेपर होगा एवं 50 प्रश्न करने होंगे जो कि कहीं भी दर्शाया नहीं गया था। इससे विदित होता है कि उन्हें किसी गोपनीय सूत्र से यह जानकारी पूर्व में ही प्राप्त हो गई थी। उन्हीं अभ्यर्थियों के लिखित परीक्षा की मेरिट में सर्वोच्च अंक आए हैं। जबकि एक घंटे के प्रश्न पत्र में 50 प्रश्न (एक नंबर प्रति प्रश्न) में 39-40 अंक इन अभ्यर्थियों को प्राप्त हुए।। जबकि प्रश्न पत्र में अधिकतर प्रश्न न्यूमेरिकल बेस के थे। जिन्हें पढ़ने एवं कैलकुलेटर की सहायता से करने में ही एक घंटे से अधिक का समय लग रहा था। किंतु इसमें कुछ अभ्यर्थियों द्वारा 50 में से 40 अंक प्राप्त करना धांधली को दर्शाता है।
दसवीं आपत्ति
कुलपति की जगह अब रजिस्ट्रार इस प्रक्रिया में शामिल हो गई हैं। जबकि यह उचित नही है तथा एक्ट के खिलाफ है।
अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के साथ ही इस मामले की निष्पक्ष उच्चस्तरीय जांच करने के लिए प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री को तमाम दस्तावेजों सहित पत्र लिखा है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इनसे संबंधित समस्त दस्तावेज तलब कर लिए हैं। देखना यह है कि इस मामले में आगे क्या कार्यवाही होती है !
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