कमल जगाती
नैनीताल। उत्तराखण्ड में पूर्ण शराबबंदी संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आज उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि पिछले 18 वर्षों में कब कब शराबबंदी की गई है? सरकार ने जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा है।
गरुड़ निवासी अधिवक्ता व समाजसेवी डी.के.जोशी की जनहित याचिका पर आज उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने राज्य में शराब के बढ़ते चलन के साथ यहां पूर्ण शराबबंदी की मांग की थी। अधिवक्ता ने साथ में शराब से हुई राजस्व आय को समाज कल्याण में लगाने को कहा है। कहा गया है कि सरकार शराब बिक्री से दो प्रातिशत सेस लेती है, जिसे शराब से हुए नुकसान के मामलों में ही खर्च किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया है कि आबकारी एक्ट के 37 ए में कहा गया है कि धीरे-धीरे शराब बन्दी की जाए।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति एन.एस.धनिक की खंडपीठ ने जनहित याचिका को सुनने के बाद राज्य सरकार से पूछा है कि उन्होंने राज्य बनने के बाद पिछले 18 वर्षों में कब कब शराबबंदी लागू की? राज्य सरकार की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता ने न्यायालय को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 27 मई को रखी गई है।