सचिवालय में नौकरी लगाने के नाम पर एक गिरोह बेरोजगार युवकों को लाखों रुपए की चपत लगा रहा है
बेरोजगार युवकों से यह गिरोह लाखों रुपए लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र थमाता है और जब वह बेरोजगार युवक बताई गई तिथि पर सचिवालय में नौकरी के लिए जाता है तो उसे ऐसा कोई आदेश न होने की बात कहकर बैरंग लौटा दिया जाता है। ठगी का शिकार हुए अरविंद कंसवाल नाम के एक बेरोजगार युवक ने जब पुलिस में इसकी शिकायत की तब इसका खुलासा हुआ यूं तो पहले भी नौकरी के नाम पर सचिवालय में होने वाले फर्जीवाड़े चर्चा का विषय बनते रहे हैं किंतु ताजा मामला इस तरफ इशारा करता है कि नौकरी के इस फर्जीवाड़े में एक संगठित गिरोह काम कर रहा है ठगी का शिकार हुए अरविंद कंसवाल नाम के बेरोजगार युवक ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून को एक प्रार्थना पत्र दिया है
इसमें उन्होंने कहा है कि प्रार्थी बेरोजगार है और नौकरी की तलाश कर रहा है अक्टूबर महीने अक्टूबर 2015 में विनय भट्ट पुत्र श्री गिरीश चंद्र भट्ट से उनका एक पारिवारिक कार्यक्रम में संपर्क हुआ विनय भट्ट ने बताया कि वह सचिवालय में उच्च पद पर आसीन है विनय भट्ट ने कंसवाल को यह भी बताया कि माह दिसंबर 2015 में सचिवालय में कलर की टी शॉप पोस्ट आने वाली है जिनके लिए मई 2016 में साक्षात्कार होंगे मई दिसंबर 2015 के प्रथम सप्ताह में विनय भट्ट ने श्री कंसवाल को बताया कि वह प्रार्थी की नौकरी सचिवालय में लगवा देगा जिसके एवज में प्रार्थी को विनय भट्ट को 500000 रुपए देने होंगे कंसवाल विनय भट्ट की बातों में आ गया और उसने अपनी पिता की जमीन गिरवी रखकर बैंक से ढाई लाख रुपए का लोन लिया तथा अपने रिश्तेदारों से ढाई लाख रुपए विनय भक्त को देने के लिए उधार दिए एडवांस के रुप में कंसवाल ने 22 दिसंबर 2015 को एक लाख रुपए तथा 6 जनवरी 2016 को डेड लाख रुपए विनय भट्ट को दिए विनय भट्ट ने प्रार्थी को बताया कि उस का साक्षात्कार 2 मई 2016 को सचिवालय में होगा जब कंसवाल सचिवालय पहुंचा तू यह विनय भट्ट सचिवालय के बाहर ही मिल गया और स्वयं कंसवाल को लेकर सचिवालय भवन में बने एक कमरे में ले गया थोड़े समय बाद कंसवाल को कार्यालय में बने अधिकारी के केबिन में बुलाया गया जहां एक व्यक्ति ले कंसवाल का साक्षात्कार दिया कंसवाल कहते हैं कि वह देखकर उस अफसर को पहचान सकते हैं विनय भट्ट भी साक्षात्कार के समय उसी केबिन में मौजूद था।
साक्षात्कार के बाद प्रार्थी को बाहर भेज दिया गया जबकि दिनेश भट्ट कुछ समय के बाद केबिन से बाहर निकला और कंसवाल के हाथ में अपर सचिव सचिवालय कार्यालय अनुभाग देहरादून द्वारा हस्ताक्षरित आदेश की प्रतिनिधि दी गई जिसमें लिखा था कि प्रार्थी का चयन कंप्यूटर ऑपरेटर लिपिक पद पर कर लिया गया है तथा दिनांक 2 जून 2016 को प्रार्थी को अपना शैक्षिक प्रमाण पत्रों के साथ कार्यालय में उपस्थित होकर ज्वाइनिंग लेनी है जब कंस वाले मूल प्रति देने के लिए विनय भट्ट से कहा तो विनय भट्ट ने कहा कि नियुक्ति की मूल प्रति डाक द्वारा कार्यालय से ही भेजी जाएगी नियुक्ति आदेश की प्रतिलिपि देते समय विनय भट्ट ने कंसवाल से बकाया ढाई लाख रुपए मांगा जिस पर शेष तलाक रुपए दे दिए लगभग 20 दिन बाद भी जब कंसवाल को नियुक्ति पत्र की मूल प्रति डाक द्वारा प्राप्त नहीं हुई तो कंसवाल ने विनय से संपर्क किया । विनय भट्ट ने कहा वह निश्चिंत होकर 2 जून 2016 को जोइनिंग ले ले 2 जून 2016 को जब कंसवाल जॉइनिंग के लिए सचिवालय पहुंचा तो उसके पैरों के नीचे से जमीन निकल गई जब उसे मालूम हुआ कि उक्त नियुक्ति आदेश फर्जी है तथा सचिवालय में कभी कोई ऐसी नियुक्ति हेतु कोई आदेश जारी नहीं किया गया था।
कंसवाल को यह भी पता चला कि विनय भट्ट नाम का कोई व्यक्ति सचिवालय में कार्यरत नहीं है कंसवाल ने कई बार भट्ट से संपर्क किया पर विनय भट्ट पैसा लौटाने के लिए टालमटोल करता रहा आखिरकार 25 फरवरी 2017 को कंसवाल विनय भट्ट के घर गया इस पर विनय भट्ट ने अपनी गलती स्वीकार की और लिखित में 1 मार्च 2017 तक कंसवाल को उसके 500000 रुपए लौटाने का वायदा किया 1 मार्च 2017 को कंसवाल ने बिनय भट्ट से संपर्क किया तो उसने कंसवाल को ढाई ढाई लाख रुपए के दो चेक जिनकी संख्या 3434 85 तथा 3434 88 थी दे दिए लेकिन उक्त दोनों चेक बैंक से बाउंस हो गए इस पर अरविंद कंसवाल ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून को सभी दस्तावेजों सहित लिखित शिकायत की है और विनय भट्ट के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने का अनुरोध किया है जब जब अरविंद कंसवाल विनय भट्ट के घर गया और नौकरी ना लगने पर अपने दिए हुए 500000 रुपए वापस मांगे तो विनय भट्ट ने लिखित में यह स्वीकार किया कि उसने अरविंद कंसवाल से नौकरी लगाने के नाम पर 500000 रुपए लिए थे जो कि नौकरी ना लगने पर वह वापस कर देगा।
विनय इतना शातिर है कि प्रभाव में लेने के लिए उसने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से लेकर विनोद चमोली प्रकाश पंत परिचय भाजपा नेताओं के साथ बगल गीर होते हुए फोटो खिंचाकर Facebook पर डालकर अपना प्रभाव बढ़ाकर कई लोगों को अपने झांसे में लिया है लगभग आधा दर्जन मामले तो अकेले कोटद्वार के हैं जहां के बेरोजगार युवक इसकी बातों में आकर अपना लाखों रुपया गवां बैठे हैं। एक कर्मचारी महेंद्र सिंह परिचारक चतुर्थ श्रेणी का विधानसभा प्रवेश पत्र भी बना हुआ है अरविंद कंसवाल को जो फर्जी नियुक्ति आदेश जारी हुआ है उसमें पूर्व मुख्यमंत्री के तत्कालीन प्रमुख निजी सचिव प्रकाश चंद्र उपाध्याय की भी मोहर लगी हुई है अभी तो सिर्फ अरविंद कंसवाल की ही शिकायत सामने आई है ऐसा अनुमान है कि विनय भट्ट सरीखे शातिर लोगों के द्वारा सचिवालय में नौकरी लगाने के नाम पर दर्जनों अन्य बेरोजगार युवक भी लाखों रुपए कमा कर ठगी के शिकार हुए हैं ऐसा अनुमान है कि ऐसा अनुमान है कि सचिवालय में नौकरी लगाने के नाम पर एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है।