कृष्णा बिष्ट
फर्जी छात्रवृत्ति हासिल करके समाज कल्याण विभाग को करोड़ों रुपए का चूना लगाने वाले करोड़पति लोगों की इस सीरीज में आप अब तक दर्जनों उदाहरण पढ़ चुके हैं। किंतु एसआईटी अब तक इन मामलों पर मौन है।
गौरतलब है कि सरकार द्वारा sc-st छात्रवृत्ति प्राप्त करने हेतु अभिभावक की वर्ष 2012-13 में आय सीमा आय सीमा दो लाख निर्धारित थी तथा 13-14 से ढाई लाख रुपए वार्षिक आय सीमा निर्धारित है।
फर्जी छात्रवृत्ति लेने वाले लोगों की इस सीरीज में आज कुछ और खुलासे किए जा रहे हैं। इन्हें पढ़कर आप चौंक जायेंगे कि करोड़ों रुपए के टर्नओवर और लाखों रुपए आयकर देने वाले इन करोड़पतियों के आखिर 5-6 हजार मासिक वाले प्रमाण पत्र बन कैसे गए !
क्या इसमें छात्रवृत्ति लेने वाले छात्र तथा उनके करोड़पति पिताओं के साथ-साथ फर्जी आय प्रमाण पत्र बनाने वाले तहसीलदार, पटवारी और एसडीएम दोषी नहीं है !
आखिर उन्होंने कैसे करोड़पतियों के ऐसे फर्जी आय प्रमाण पत्र बना दिए !
करोड़ पति बिजनेसमैन भी पीछे नही
दर्शन लाल डोभाल निवासी ग्राम कुन्ना पोस्ट ऑफिस कुन्ना पोस्ट ऑफिस बंदौर तहसील चकराता के पुत्र डोभाल अंकित के नाम से जनपद हरिद्वार से बैचलर इन एग्रीकल्चर साइंस में प्रवेश लेकर पीएनबी लक्सर से ₹13,300 की छात्रवृत्ति प्राप्त की गई तथा उसी वर्ष 2015 में अंकित नाम आगे पीछे बदल अंकित डोभाल के नाम से जनपद देहरादून में शैक्षणिक संस्थान आईएचएम में प्रवेश लेकर एसबीआई जीएमएस रोड देहरादून में खाता खुलवा कर ₹13,300 छात्रवृत्ति प्राप्त की गई।
दर्शन लाल डोभाल एक करोड़पति बिजनेसमैन हैं और बड़े आयकर दाता हैं। इन्होंने अपना आय प्रमाण आय छुपाकर मासिक 4000 दिखाया है, जो कि फर्जी है।
सरकारी कर्मचारियों ने भी मचाई लूट
सुरेंद्र सिंह तोमर ग्राम लोहारी पोस्ट ऑफिस ड्यूडीलानी तहसील कालसी, सरकारी विभाग पीडब्ल्यूडी में कार्यरत हैं। जिनकी मासिक आय कई हजारों में है। इनके द्वारा फर्जी मासिक 10000 दर्शा कर अपने पुत्र अजय तोमर के नाम से देहरादून टेक्निकल एवं मैनेजमेंट कॉलेज देहरादून से बीसीए कोर्स में एडमिशन दर्शा कर 33,300 की छात्रवृत्ति हड़प ली गई। यह वर्ष 2015-16 का मामला है।
करोड़पति सरकारी ठेकेदारों को भी छात्रवृत्ति
टीकाराम ग्राम लाखामंडल पोस्ट ऑफिस लाखामंडल तहसील चकराता एक ए क्लास के सरकारी ठेकेदार हैं। इनके द्वारा वर्ष मे लाखों रुपए का वार्षिक आयकर रिटर्न भरा जाता है।
टीकाराम का लाखामंडल में करोड़ों रुपए की लागत से बना गेस्ट हाउस और विकास नगर में पक्का करोड़ों रुपए का मकान है। इन्होंने मासिक आय 5000 दर्शाकर तहसील में फर्जी आय प्रमाण पत्र बनाया है। इनकी पुत्री कविता ने हिमगिरि यूनिवर्सिटी देहरादून से वर्ष 2016 में बीबीए कोर्स किया तथा ₹60,500 की छात्रवृत्ति समाज कल्याण विभाग से हड़प ली।
भरत सिंह तोमर ग्राम लोहारी, पोस्ट ऑफिस लोहारी एक अरबपति सरकारी ठेकेदार हैं। भरत सिंह की डाकपत्थर में कई दुकानें और मकान हैं तथा विकास नगर में कई प्लॉटों के मालिक हैं। भरत सिंह वर्ष में करोड़ों रुपए का आयकर रिटर्न भरते हैं। भरत सिंह ने तहसील कालसी से वर्ष 2014-15 में तहसील से ₹4000 मासिक तथा वर्ष 2015 में ₹6000 मासिक के फर्जी आय प्रमाण पत्र प्राप्त कर समाज कल्याण विभाग से अपने पुत्र हिमांशु तोमर तथा पुत्री रुचिका तोमर के नाम से अलग-अलग संस्थानों में प्रवेश दर्शा कर लाखों रुपए की छात्रवृत्ति हड़प ली।
भरत सिंह तोमर के पुत्र हिमांशु तोमर ने वर्ष 14-15 में हाउस नंबर 264 कालसी रोड, डाकपत्थर, देहरादून दर्शाकर कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग रुड़की में बीई कोर्स में प्रवेश दर्शाया और ₹46,250 की छात्रवृत्ति हड़प दी गई। इसी प्रकार हिमांशु तोमर ने वर्ष 2015-16 में घर का पता बदलकर ग्राम लोहारी, पोस्ट ऑफिस लखवाड़ एवं मैनेजमेंट कॉलेज मे प्रवेश दर्शाकर 35300 की धनराशि समाज कल्याण विभाग से प्राप्त कर हड़प ली ।
इसी प्रकार भरत सिंह की पुत्री रुचिका तोमर ने वर्ष 2014-15 में एकेडमी आफ मैनेजमेंट स्टडीज देहरादून में प्रवेश दर्शा कर एमबीए में प्रवेश दर्शाया और 65,500 की धनराशि समाज कल्याण विभाग देहरादून से प्राप्त कर हड़प ली।
अर्जुन सिंह तोमर ग्राम खाडी पोस्ट ऑफिस लखस्यार ए श्रेणी के सरकारी ठेकेदार हैं।
अर्जुन सिंह वर्ष भर में कई लाख रुपए का आयकर रिटर्न भरते हैं। अर्जुन सिंह का करोड़ों रुपए की लागत का एक मकान विकास नगर में तथा विकास नगर में ही कई स्थानों पर इनकी निजी संपत्तियां हैं।
अर्जुन सिंह ने तहसील कालसी से ढाई हजार रुपए का मासिक का फर्जी प्रमाणपत्र हासिल कर अपनी पुत्री गीता को ₹56300 की धनराशि समाज कल्याण विभाग से हड़प ली गई।
अर्जुन सिंह की पुत्री गीता ने वर्ष 2014-15 में इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी देहरादून से मास कम्युनिकेशन में प्रवेश करना दर्शाया है। ए श्रेणी का ठेकेदार होते हुए इस छात्रवृत्ति के लिए अपने अपात्र होते हुए सरकारी खजाने को चूना लगाने में अर्जुन सिंह भी पीछे नहीं रहे।
ऊंची पकड़ के चलते एसआईटी संभवत इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करना चाह रही है। क्योंकि यह लोग सरकार के काफी नजदीक हैं।
यदि एसआईटी इसी तरह से खामोश रही तो एसआईटी पर यह आरोप गहराते जा रहे हैं कि वह जांच और कार्यवाही के लिए अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग मानक अपना रही है।
एसआईटी के पास यह सूची पहले से ही उपलब्ध है। किंतु ऐसे लोगों के खिलाफ कब कार्यवाही करेगी, इसका इंतजार उत्तराखंड के सभी आम जनमानस को है।