कृष्णा बिष्ट
छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर जांच कर रही एसआईटी की टीम समय गुजरने के साथ-साथ संदेह और सवालों के घेरे में घिरती जा रही है। एसआईटी पर जांच में भी भेदभाव करने के आरोप लग रहे हैं। एसआईटी ने स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी में एक छात्र और उसके अभिभावक पर तो मुकदमा दर्ज करके चार्जशीट देने की भी तैयारी कर दी है, लेकिन इसी यूनिवर्सिटी में बिल्कुल इसी तरह का छात्रवृत्ति घोटाला करने वाले अन्य छात्रों और उनके अभिभावकों से पूछताछ तक नहीं की। जबकि इस घोटाले के दस्तावेजी सारे सबूत एसआईटी के पास उपलब्ध हैं।
एसआईटी ने कम आय का प्रमाण पत्र बना कर छात्रवृत्ति हड़पने के मामले में एमबीबीएस के 3 छात्रों के खिलाफ चार्जशीट लगा दी है, लेकिन इसी तरह से गलत छात्रवृत्ति लेने वाले अन्य छात्रों और उनके अभिभावकों की तरफ देखा तक नहीं। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि एसआईटी किसी प्रभाव में काम कर रही है।
उदाहरण के तौर पर कृपाराम पांडे (ग्राम उभोऊ, खत बहलाड़, तहसील कालसी, हाल निवास बैंक कॉलोनी दिनकर बिहार विकास नगर देहरादून का केस देख सकते हैं।
कृपाराम पांडे सरकारी विभाग यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी में मैनेजर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। इनके पुत्र सुमित पांडे ने हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मेसी एंड रिसर्च जौली ग्रांट देहरादून से वर्ष 2014-15 मे बी फार्मा में प्रवेश लिया था। कृपाराम पांडे ने अपना आय प्रमाण पत्र कम आय 3500 रुपये मासिक दर्शा कर तहसील से बनवा लिया और समाज कल्याण विभाग से अपने पुत्र सुमित पांडे के लिए छात्रवृत्ति हड़प ली।
जिस समय कृपाराम पांडे ने कम आय का मासिक फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया, उस समय कृपाराम पांडे मैनेजर के पद पर रहते हुए लाखों रुपए की सैलरी लेते थे।
अहम तथ्य यह है कि हिमालयन इंस्टीट्यूट के एमबीबीएस के 3 छात्रों के विरुद्ध एक अधिवक्ता चंद्रशेखर करगेती द्वारा शिकायत की गई थी और एसआईटी की जांच और संस्तुति के आधार पर अधिवक्ता द्वारा डोईवाला थाने में मुकदमा दर्ज कराया था और इस प्रकरण में चार्जशीट तक दाखिल किये जाने की तैयारी हो चुकी है लेकिन इसी यूनिवर्सिटी में अन्य छात्रों के मामले में एसआईटी जानकारी होने के बावजूद भी क्यों चुप है, यह एक अहम सवाल है।