द्वारीखाल। पौड़ी जनपद के द्वारीखाल ब्लॉक के अंतर्गत करीब एक दशक से अधर में लटकी किनसुर-पोगठा मोटर मार्ग के दिन बहुरने की उम्मीद है। यह सड़क पूर्व मंत्री और विधायक के गांव से होकर गुजरेगी, लेकिन आश्चर्यजनक है कि तीन बार की विधायक रहने के बावजूद वह भी इसे अधूरा ही छोड़ गईं।
जी हां, जिस काम को तीन बार की विधायक एवं मंत्री रही विजय बड़थ्वाल नहीं कर सकी, वह काम अब रिटायर्ड फौजी वीरेंद्र सिंह रावत के प्रयासों से संभव होता दिख रहा है। पूर्व विधायक का गांव तैड़ी से होकर पोगठा-किनसुर मोटरमार्ग कई सालों से अधर में लटका हुआ है। दोनों तरफ से सड़क होने के बावजूद पोगठा से किनसुर तक करीब ३-४ किमी. पैदल ही जाना पड़ता है। मरीजों को भी पीठ पर लादकर ही लोगों को पुलनाबड़ तक पहुंचाना पड़ता है। इसके अलावा रोजमर्रा का सामान भी लादकर ले जाना पड़ता है।
ग्रामवासियों ने इस मार्ग के बनने की लगभग उम्मीद ही छोड़ दी थी, लेकिन तभी मैठाणा गांव के वीरेंद्र सिंह रावत फौज से सेवानिवृत्त होकर गांव आए। यह देख वीरेंद्र सिंह को हैरानी हुई कि आखिर बीच की इतनी सड़क इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी क्यों नहीं बन पाई? इस पर उन्होंने सड़क निर्माण में बाधक बनने वालों की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी। पहले चरण में स्थानीय ग्रामीणों की मान-मनोव्वल करने के बाद उन्होंने पीडब्ल्यूडी और वन विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की। रोड का पुराना सर्वे और मैप निकलवाया। वन विभाग के साथ मार्ग में आने वाले पेड़ों की गिनती करवाई और सभी अवरोधों का हल निकालने में कामयाब रहे। यही कारण है कि अब शीघ्र मुआवजा प्रक्रिया प्रारंभ होने जा रही है। इसी के साथ ही सड़क निर्माण की राह भी खुल जाएगी।
वीरेंद्र सिंह रावत के साथ ही मैठाणा निवासी समाजसेवी दीपचन्द शाह ने भी सड़क निर्माण में आ रही इन तमाम मुश्किलों का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिनका सामुहिक प्रयासों के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि आगामी कुछ समय में पोगठा-किनसुर मोटर मार्ग पर निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा। इन दोनों युवा समाजसेवियों का स्थानीय ग्रामीण भी बढ़-चढ़कर साथ दे रहे हैं।
इस मार्ग के बन जाने के बाद मैठाणा, पोगठा, हथनूड़, कुठार, उमन, क्यार, गूम, तैड़ी, किनसुर व बागी आदि कई गांवों के लोगों को फायदा मिलेगा।
वीरेंद्र रावत ने इसके अलावा सिलोगी-गूम-कौंदा-पोगठा की ऊबड़-खाबड़ सड़क को पक्की करवाने का भी संकल्प लिया है। संबंधित विभागीय अधिकारियों से उन्हें इस सड़क को पक्का करवाने का आश्वासन मिला है। इस पर अत्यंत दुर्घटना बाहुल्य सड़क पर रोजाना हिचकोले खाकर रोजमर्रा के सामान के लिए सिलोगी बाजार आने-जाने वाले स्थानीय ग्रामीणों में भी खुशी की लहर है।
इस रूट पर रोजाना टैक्सी चलाने वाले मानवेंद्र सिंह(मन्ना) बताते हैं कि यह सड़क तो पहले इससे भी भयानक थी, लेकिन वीरेंद्र सिंह के प्रयासों से बीच-बीच में सड़क की मरम्मत की गई है, जिससे सड़क चलने लायक बन सकी।