एक्सक्लूसिव: बाघ के शिकार पर एसटीएफ पर उठे सवाल

तुम अपने बयान बदल लो। अपने बयान इस प्रकार दे कि जो मांस मौके से बरामद हुआ है वह अनूप भिंडोला ने प्रार्थी को दिया था व उसके साथी पंछीनाथ, सहजानाथ, योगेश व अन्य के साथ मिलकर मौके पर दबाया है और बाद में स्वयं विभागीय अधिकारी को सूचना देकर बरामद कराया है। इस तरह बयान देने पर हम तुम्हें बचा लेंगे। हमारी कलम में बहुत ताकत है। तुम हमारे गवाह बन जाओगे।

यह कोई फिल्मी डायलॉग नहीं है, बल्कि एसटीएफ द्वारा एक आम व्यक्ति पर बनाया जा रहा दबाव है।
रायवाला प्रतीतनगर के अनुसूचित जाति के व्यक्ति अमित उर्फ सोनू पुत्र ओमप्रकाश ने वन विभाग के अधिकारियों व एसटीएफ पर आरोप लगाया है कि झूठे तथ्यों के आधार पर उसे 29 मार्च 2018 को न्यायालय के समक्ष पेश करके जेल भेज दिया गया। यही नहीं तब से लेकर उसे शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जा रहा है।
दरअसल मामला रायवाला प्रतीतनगर थाना रायवाला जिला देहरादून के रहने वाले अमित उर्फ सोनू पुत्र ओमप्रकाश का है। सोनू अनूसूचित जाति का अत्यंत गरीब परिवार का व्यक्ति है। 22 मार्च 2018 को एक एच 2 वन विभाग द्वारा अज्ञात के नाम से काटा गया था, जिसमें वन्यजीव प्रतिपालक हरिद्वार कोमल सिंह  जांच अधिकारी नियुक्त किए गए थे। आरोप है कि कोमल सिंह द्वारा झूठे तथ्यों के आधार पर 29 मार्च 2018 को अमित को न्यायालय के समक्ष पेश करके जेल भेज दिया गया। वह लगभग 2 महीने तक सलाखों के पीछे रहा। उसके बाद जमानत पर बाहर आया।
8 जुलाई 2019 को एसएसपी देहरादून को लिखा शिकायती पत्र मेंं अमित ने लिखा है कि शासन द्वारा कोमल सिंह को जांच अधिकारी के पद से हटाकर मनोज चंद्रन मुख्य वन संरक्षक देहरादून को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। जिसमें मनोज चंद्रन ने पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ संबंधित लोगों के बयान दर्ज किए तथा मनोज चंद्रन द्वारा अपनी जांच पूरी कर जांच आख्या न्यायालय में प्रस्तुत कर दी गई, लेकिन दिनेश चंद्र पांडे द्वारा मनोज चंद्रन की आख्या का हवाला देते हुए एक परिवाद सीजेएम के यहां प्रस्तुत किया गया जिस पर न्यायालय द्वारा संज्ञान लेते हुए परिवादी के बयान दर्ज हुए तथा दिनेश चंद्र पांडे द्वारा प्रार्थी को अंतर्गत धारा 202 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज करने हेतु पेश किया गया।
प्रार्थी के बयान दर्ज किए गए प्रार्थी को एसटीएफ टीम द्वारा 5 जुलाई 2019 को शाम 5 बजे उसकी रायवाला स्थित दुकान से पूछताछ के लिए एसटीएफ ऑफिस देहरादून लाया गया, जहां प्रार्थी को रविवार रात्रि तक कैद कर रखा गया।
अमित ने आरोप लगाते हुए कहा कि उस पर मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताडि़त करते हुए एसटीएफ टीम द्वारा यह दबाव बनाया गया कि जो बयान प्रार्थी ने मनोज चंद्रन मुख्य वन संरक्षक सीबीआई व सीजेएम के समक्ष उपस्थित होकर बयान दर्ज कराए हैं, उन बयानों को बदलकर एसटीएफ के बताए अनुसार बयान दर्ज कराए। इसका अमित ने विरोध किया तथा एसटीएफ के अनुसार बयान देने से साफ मना कर दिया। इस पर एसटीएफ द्वारा धमकी दी गई थी अगर हमारे अनुसार बयान नहीं दोगे तो तुम्हें ऐसे मुकदमे में फंसा देंगे, जिससे तुम आजीवन जेल में ही रहोगे।

इसी दौरान प्रार्थी को तरह-तरह के प्रलोभन भी दिए गए कि प्रार्थी अपने बयान बदल दे तथा अपने बयान इस प्रकार दे कि जो मांस मौके से बरामद हुआ है, वह अनूप भिंडोला ने प्रार्थी को दिया था व उसके साथी पंछीनाथ, सहजानाथ, योगेश व अन्य के साथ मिलकर मौके पर दबाया है और बाद में स्वयं भी विभाग के अधिकारी को सूचना देकर बरामद कराया है। इस तरह बयान देने पर हम तुम्हें बचा लेंगे। हमारी कलम में बहुत ताकत है। तुम हमारे गवाह बन जाओगे।
अमित ने कहा है कि मेरे द्वारा जो बयान सीबीआई मनोज चंद्रन एवं न्यायालय में दिए गए हैं, वह सही एवं सत्य हैं। प्रार्थी को 5 जुलाई 2019 से 7 जुलाई 2019 की रात्रि तक मानसिक व शारीरिक रूप से एसटीएफ द्वारा प्रताडि़त किया गया। इस दौरान लगभग 53 घंटे के बाद प्रार्थी को एसटीएफ टीम द्वारा उसकी दुकान रायवाला में छोड़ा गया, जहां उसके घरवालों के साथ ही मीडियाकर्मी भी मौजूद थे। अमित ने यह भी आरोप लगाया कि प्रार्थी के घरवालों से एसटीएफ टीम द्वारा एक कागज पर बैक डेट में साइन कराए जा रहे थे, किंतु मीडिया कर्मी के सवाल पूछे जाने पर एसटीएफ टीम वहां से खिसक ली।
8 जुलाई 2019 को भी प्रार्थी की बहिन के मोबाइल नंबर पर भी एसटीएफ कार्यालय देहरादून से फोन आया कि प्रार्थी को हमारे समक्ष भेजा जाए, वरना उसको जेल भेज देंगे।
उल्लेखनीय है कि अमित उर्फ सोनू अनुसूचित जाति का एक अत्यंत गरीब व्यक्ति है। जैसे तैसे वह अपने व अपने परिवार का पालन पोषण करता है। एसटीएफ टीम द्वारा बार-बार बुलाए जाने पर आर्थिक आर्थिक मानसिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। प्रार्थी को धमकियां देकर उत्पीडऩ किया जा रहा है।
बहरहाल, पीडि़त अमित ने एसएसपी देहरादून से शिकायती पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई है। अब देखना यह होगा कि अमित को कब तक न्याय मिल पाता है!

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