राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण में हुये भर्ती घोटाले की मुख्यमंत्री से शिकायत तथा नियुक्तियों को निरस्त करने और उच्च स्तरीय समिति गठित कर जांच कराने की मांग
सभी सम्मानित पाठकों को याद होगा कि पर्वतजन ने अपने 06 जुलाई के अंक में “राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के पदों की नियुक्तियों में चल रहा है बड़ा खेल” शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।
इस प्रकरण को राज्य के बेरोजगारों के साथ अन्याय और सरकार की प्रतिष्ठा के लिए गंभीर और अहितकर मानते हुये भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्य मंत्री रविन्द्र जुगरान ने एक पत्र लिख कर मुख्यमंत्री से शिकायत की है और इस भर्ती घोटाले की एक उच्च स्तरीय समिति से जांच कराने की मांग की है।
आपदा प्रबन्धन विभाग मुख्यमंत्री के पास है और मुख्यमंत्री ही इस समय विभागीय मंत्री है इसलिए ये मामला ज्यादा गंभीर है क्योंकि मुख्यमंत्री साफ सुथरी और जीरो टॉलरेंस सरकार होने की बात करते हैं और उन्ही के अधीनस्थ विभाग में भर्ती घोटाला हुआ है।
रविन्द्र जुगरान ने अपने पत्र में प्राधिकरण के इन पदों के शैक्षिक योग्यता निर्धारण, जारी की गयी विज्ञप्ति, साक्षात्कार, चयन तथा नियुक्ति प्रदान करने तक की समस्त प्रक्रियाओं पर गंभीर आरोप लगाये हैं, साथ ही उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि इन आरोपों से सम्बंधित समस्त प्रमाण वे उच्च स्तरीय जांच समिति के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। रविन्द्र जुगरान ने अपने पत्र में यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने गलत निर्धारित की गयी शैक्षिक योग्यताओं और नियमविरुद्ध जारी की गयी विज्ञप्ति के खिलाफ कई प्रत्यावेदन मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव कार्मिक को दिये, लेकिन आपदा प्रबन्धन विभाग के अधिकारियों द्वारा मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव द्वारा दिये गये निर्देशों की अवहेलना की गयी और नियमविरुद्ध चयन प्रक्रियाओं को जारी रखा।
रविन्द्र जुगरान ने अपने पत्र में आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उनके किसी भी प्रत्यावेदन पर कोई कार्यवाही नहीं की और ना ही उनकी शिकायतों का निस्तारण किया और नियमविरुद्ध चयन प्रक्रियाओं को जारी रखा।
रविन्द्र जुगरान ने यह भी आरोप लगाया कि यह सब नियमविरुद्ध चयन प्रक्रियायें अपने चहेतों को प्राधिकरण के पदों में नियुक्त करने के लिये की गयी हैं।
रविन्द्र जुगरान ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने Civil Procedure Code (CPC) के section 80 C के तहत अपने सभी प्रत्यवेदनों पर शासन द्वारा की गयी अब तक की कार्यवाही की जानकारी मांगी लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों ने संविधान द्वारा प्रदत्त CPC 80 C का उलंघन करते हुये उन्हें इसका कोई जवाब आज तक नहीं दिया है।
रविन्द्र जुगरान द्वारा लगाये गये आरोपों की सूची बहुत लंबी है, मुख्यमंत्री जी को इसका संज्ञान अवश्य ही लेना चाहिए क्योंकि यह मामला उनके अधीनस्थ विभाग से सम्बंधित है।
इतने ज्यादा आरोप हैं तो निश्चित ही ये नियुक्तियां निरस्त हो सकती हैं, खैर यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा।
उत्तराखंड में हुये छात्रवृति घोटाले के लिए भी रविन्द्र जुगरान ने शासन और सरकार को कई पत्र लिखे थे, लेकिन कहीं सुनवाई न होने पर वे इस प्रकरण को न्यायालय में ले गये और आज न्यायालय के हस्तक्षेप और जांच के बाद करोड़ों रूपए का छात्रवृति घोटाला सबके सामने है। यदि इस भर्ती घोटाले में भी सरकार और शासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है तो रविन्द्र जुगरान ने इस प्रकरण को भी न्यायालय में ले जाने की बात अपने पत्र में कही है।
आरोप लगे हैं तो इन आरोपों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिये और यदि दोष सिद्ध होता है तो दोषी अधिकारियों पर जीरो टॉलरेंस की सरकार क्या कार्यवाही करती है यह समय के साथ सबके सामने आ ही जाएगा।