कभी भी हो सकता है इन स्कूलों में बड़ा हादसा, खतरे में नौनिहाल
पलायन करने को मजबूर कर रही सरकार
अनुज नेगी,नीरज उत्तराखंडी
पौड़ी, उत्तरकाशी ।शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्रशासन लाख दावे तो कर रहा है लेकिन जमीनी स्तर पर व्यवस्थाएं खोखली है।सरकारी स्कूल के प्रति बच्चों का रुझान बढ़े इसके लिए सरकार अनेक प्रयास कर रही है.लेकिन जिन भवनों में बच्चों का पठन पाठन हो रहा है वह भवन अपने ही बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं।
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शिक्षा महकमे के अफसरों की लापरवाही पौड़ी के नौनिहालों पर भारी पड़ रही है। स्कूल के जर्जर भवन हादसों को हर पल दावत दे रहे हैं। स्कूली बच्चे हादसों के साये में पढ़ रहे हैं और शिक्षा विभाग लापरवाही की गहरी नींद सो रहा है। जिसे टूटने में लगता है कि अभी लंबा वक्त लगेगा।
पौड़ी मुख्यालय से 105 किमी. दूर रिखणीखाल ब्लॉक का राजकीय इन्टर कॉलेज द्वारी जर्जर भवन के सहारे चल रहा है। जिसकी तरफ प्रशासन कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है।
रिखणीखाल ब्लॉक के द्वारी गांव में 1935 में राजकीय इंटर कॉलेज खोला गया था। विद्यालय का जर्जर भवन में वर्तमान समय मे पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया।वर्तमान समय मे बच्चों को इसी खंडहर क्षतिग्रस्त विद्यालय में शिक्षा लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।विद्यालय की हालत इतने बदतर है कि शिक्षकों और बच्चों को खंडहर पड़े विद्यालय की छत को टिकाने के लिए पॉलीथिन लगानी पड़ी है।हालांकि उस दौरान कोई हादसा नहीं हुआ। लेकिन जब तक जर्जर भवन रहेंगी हादसे की संभावना भी बनी रहेगी।
वर्तमान समय में इस विद्यालय में 350 बालक-बालिकाएं पढ़ाई कर रहे हैं। अध्यापकों का कहना है कि विद्यालय की इन समस्याओं के बारे में वे लोग कई बार उच्च अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं। लेकिन विभाग समस्याओं को सुनकर भी अनसुना कर रहा है।आपको अवगत करा दें कि शिक्षा के कारण ही जनपद पौड़ी में सबसे ज्यादा पलायन हो रहा है लेकिन इस विद्यालय को देखकर लगता है कि यहाँ के रैवासियों को प्रशासन जबर्दस्ती पलायन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
वहीं जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने कहा उपजिलाधिकारी को निरीक्षण के आदेश दे दिये है जल्द ही विद्यालय के भवन मरमत का आश्वासन दे रहे हैं।
सरबडियार के स्कूल भी खस्ताहाल
जनपद उत्तरकाशी के विकास खण्ड पुरोला के सीमांत एवं पिछड़ा क्षेत्र सर बडियार के डिगाडी एवं सर गांव में ढांचा गत सुविधाओं के अभाव में बरहाल पडी शिक्षा व्यवस्था शर्म की बात है।
जीर्ण-शीर्ण विद्यालय भवनों में संचालित किये जी जा रही हैं कक्षाएं। कभी भी हो सकता है बडा हादसा।
हादसे की आशंका से सहमे अध्यापक और नौनिहाल स्कूल भवन के बरामदे और खुले आकाश तले बैठकर कर रहें हैं शिक्षा ग्रहण ।