सरकार के खिलाफ 6 बिंदुओं को लेकर आंदोलन और धरना प्रदर्शन कर रही कांग्रेस धरना स्थल पर भी आंतरिक गुटबाजी को किनारे न रख सकी।
कांग्रेस ने धरना स्थल पर पहुंचे हरीश रावत को ना तो बैठने के लिए जगह दी और ना ही उन्हें बोलने के लिए माइक पर आमंत्रित किया।
हरीश रावत के समर्थकों ने कई बार कार्यक्रम का संचालन कर रहे सूर्यकांत धस्माना से हरीश रावत को बुलवाने के लिए कहा लेकिन सूर्यकांत धस्माना ने जानबूझकर अनदेखा कर दिया।
एक-एक कर प्रीतम सिंह, किशोर उपाध्याय और इंद्रा हृदयेश सरीखे नेताओं ने माइक पर गला साफ किया और फिर बाकी अन्य नेताओं को भी बुलाया जाता रहा लेकिन जब काफी देर तक हरीश रावत को नहीं बुलाया गया तो हरीश रावत के समर्थक नाराज हो गए लेकिन हरीश रावत ने इशारे से उन्हें शांत रहने को कहा।
काफी देर धरना स्थल पर रहने के बाद हरीश रावत निकल गए। उनके पीछे पीछे उनके समर्थक भी निकल गए।
इसके बाद हरीश रावत ने अपनी चिर परिचित शैली में फेसबुक पर इस कार्यक्रम के लिए प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह सहित सभी कार्यकर्ताओं को बधाई दी और साथ में लिखा कि वह पेट खराब होने के कारण धरना समाप्त होने से पहले निकल गए लेकिन 10:30 से 1:30 बजे तक वह धरना स्थल पर शामिल रहे।
हरीश रावत ने अपनी पोस्ट में कहीं भी गुटबाजी जैसी बात झलकने तक नहीं दी।
किंतु इस कार्यक्रम ने यह जरूर साबित कर दिया कि आखिर कॉन्ग्रेस के पतन के असली कारण क्या हैं ! लेकिन कांग्रेस उन पर विचार करें तब ही कोई रास्ता निकल सकता है।
कांग्रेस की इस गुटबाजी के कारण जिन उद्देश्यों को लेकर धरना आयोजित किया गया था उसकी हवा निकल गई और भाजपाइयों के चेहरों पर मुस्कान छाई रही।