कल उत्तराखंड मुख्यमंत्री निवास में दायित्वधारियों की एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक से पहले ही राज्य सरकार ने दायित्वधारियों के वेतन में तीन से चार गुना वृद्धि का ऐलान कर दिया था। बैठक में संगठन से जाकर सरकार तक में दायित्व संभाल रहे दायित्वधारियों के बीच सरकार ने बातचीत रखी। सरकार द्वारा दायित्व धारियों को निर्देश दिए गए कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के कामों को घर-घर तक पहुंचाने का काम करें।
इस बैठक में सभी दायित्वधारियों को पंचायत चुनाव जिताने का ठेका भी दिया गया। इन दायित्वधारियों को अब भारतीय जनता पार्टी के ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की जिम्मेदारी भी रहेगी।
इस बैठक में मुख्यमंत्री की ओर से बयान दिया कि जनता उन सभी को देख रही है और हम सब जनता के रडार पर हैं। यूं तो भारतीय जनता पार्टी चाल, चरित्र और चेहरे के नाम पर खूब बयान देती है, किंतु मुख्यमंत्री निवास में आयोजित इस बैठक में जिस प्रकार आयोगों में बैठे अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को भी लाइन हाजिर किया गया, वह वास्तव में गंभीर था।
इस बैठक में नियम कायदे कानूनों को ताक पर रखकर महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल, बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी भी शामिल हुई। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्य समिति में पार्टी से तीन महीने के लिए बाहर किए गए भगतराम कोठारी भी शामिल हुए आयोगों के पद जुडिशल पावर वाले होते हैं किंतु भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद इन आयोगों में बैठे लोग भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं इससे पहले डॉक्टर आरके जैन से लेकर विजया बड़थ्वाल उषा नेगी भी भाजपा की राष्ट्रीय कार्य समिति में भी शामिल होने दिल्ली जा चुकी हैं।
यह विडंबना ही कही जा सकती है कि आयोगों में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग अब सरकार की बैठकों में भी जा रहे हैं और सरकार उन्हें पंचायत चुनाव जिताने का ठेका भी दे रही है। इससे समझा जा सकता है कि प्रदेश में किस प्रकार की सरकार चल रही है देखना है कि उत्तराखंड में मृत पड़े विपक्ष को यह मुद्दा दिखाई देता है या नहीं।