कृष्णा बिष्ट
सालों से घर पर बैठ कर, फर्जी हाजरी भर कर तनख्वाह लेने वाले उत्तराखंड प्रशासन के ऑडिटर को आखिरकार किया गया निलंबित
उत्तराखंड सरकार कई दिनों से भ्रष्ट, कामचोर और लापरवाह अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के अभियान का जोर-शोर से प्रचार प्रसार कर रही है किंतु वर्षों से कई ऐसे अफसर हैं जो सिर्फ कामचोर नहीं है बल्कि भ्रष्ट भी हैं लेकिन उनके खिलाफ कार्यवाही वर्षों से लंबित पड़ी हुई है।
आइए आज आपको एक ऐसे अफसर के बारे में बताते हैं जो घर में बैठकर फर्जी हाजिरी दिखाकर हर महीने ₹70000 ले रहा है लेकिन उसका बाल तक बांका नहीं हुआ।
उत्तराखंड प्रशासन के ऑडिट विभाग के देहरादून स्थित ऑफिस का एक ऑडिटर, सत्य प्रकाश सिंह, असिस्टेंट ऑडिट ऑफिसर, जिसको दुसरे विभागों के ऑडिट कर उनकी कमियां उजागर करने के लिए सरकार ने नियुक्त किया था, वह व्यक्ति खुद ही पिछले कई सालों से घर पर बैठ कर, फ़र्ज़ी हाजरी भर कर, अपने उच्च अधिकारियों को गुमराह कर रहा है और हर महीने करीब 70,000/- रूपए तनख्वाह ले कर, सरकारी खजाने को चूना लगा रहा है।
इस बारे में एक पडोसी द्वारा ऑडिट विभाग में उक्त ऑडिटर के ड्यूटी के वक्त पर घर पर होने की 2012 से लेकर 2018 तक की सैंकड़ों दिनों की CCTV रिकॉर्डिंग एवं अन्य ठोस साक्ष्यों सहित फरवरी 2018 में शिकायत की गई तो श्री अमित सिंह नेगी, निदेशक, ऑडिट विभाग के,द्वारा मुख्य सतर्कता अधिकारी, विरेश कुमार सिंह को विभागीय जाँच के आदेश दिए गए l परन्तु जाँच अधिकारी ने आरोपी से मिलीभगत करके, सभी ठोस साक्ष्यों को नज़रंदाज़ कर जाँच रिपोर्ट में लिख दिया कि उक्त अधिकारी ने सरकारी सेवक के रूप में आचरण नियमावली का उल्लंघन नहीं किया है और उसे पहले की तरह घर बैठे हुए तनख्वाह देते रहे l
इस जाँच के बारे में जब विभाग के निदेशक श्री सवीन बंसल जी IAS, को शिकायत की गयी तो उन्होंने मामले की गंभीरता को समझा और पुनः किसी दुसरे जाँच अधिकारी को जाँच के आदेश दिए और जाँच के उपरांत सत्य प्रकाश सिंह को दोषी पाया गया और 17 महीने बाद निलंबित किया गया l इस केस में ऑडिट विभाग के निदेशक श्री सवीन बंसल जी के सही निर्णय की जितनी सराहना की जाये उतनी कम है l इस एक सही निर्णय से ऐसे कई भ्रष्ट अधिकारियों को सबक मिलेगा।
इसी के साथ साथ यह ऑडिटर सरकारी सड़क पर अतिक्रमण, पडोसी की ज़मीन पर अतिक्रमण, अनाधिकृत हॉस्टल चलाने जैसे अन्य कई गैर कानूनी कृत्यों में भी लिप्त है और अपनी उक्त गैर कानूनी गतिविधियों से बचने के लिए पिछले कई सालों से अपने पद का दुरूपयोग करके, कई न्यायालयों के उच्च अधिकारियों को फ़र्ज़ी दस्तावेज़ सबमिट करके गुमराह कर रहा है और प्रशासन एवं न्यायालयों का कीमती वक्त बर्बाद कर रहा है।
मुख्यमंत्री के द्वारा 3 बार, मुख्य सचिव तथा जिला अधिकारी के 2-2 बार आदेश पर MDDA के द्वारा 14 बार जारी किए गए ध्वस्तिकरण आदेशों के बाद भी यह व्यक्ति सड़क से अतिक्रमण नहीं हटा रहा है।
अब देखने वाली बात यह है कि सत्य प्रकाश सिंह को तो निलंबित कर दिया गया है, परन्तु मुख्य सतर्कता अधिकारी के उच्च पद पर बैठे विरेश कुमार सिंह जैसे भ्रष्ट जाँच अधिकारी पर शासन क्या कारवाई करता है, जिन्होंने सब साक्ष्य देखने के बाद भी उत्तराखंड सरकार के सरकारी खजाने को चूना लगाने वाले अधिकारी को 17 महीने तक चूना लगाने दिया।
इस प्रकरण की आगे की जांच के लिए तत्कालीन अपर सचिव वित्त आइएएस सविन बंसल के द्वारा ऑडिट विभाग के ऑडिटर रजत मेहरा को नियुक्त किया गया है।