एक्सक्लूसिव: फर्जी शिक्षक, फर्जी मान्यता, फर्जी अनुमोदन। राज्यपाल का आदेश भी पचा गये तुलाज पर कार्रवाई वाले
तुलाज संस्थान और तकनीकी विश्वविद्यालय के बीच चलते आ रहे मिली भगत से फ़र्ज़ी शिक्षकों एवं फ़र्ज़ी मान्यता की खबर खुलासे के रूप में सबके सामने पर्वतजन पहले ही ला चुका है।
इस मामले में RTI कार्यकर्ता अर्जुन नेगी ने सूचना के अधिकार द्वारा तथ्यों एवं साक्ष्यों को इकठ्ठा कर तुलाज संस्थान और उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में चले आ रही सांठ गाँठ की पोल खोलकर रख दी।
अब जबकि स्पष्ट रूप से उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय स्वयं मान चुका है कि फ़र्ज़ी शिक्षक, फ़र्ज़ी अनुमोदन एवं मान्यता तुला संस्थान को दी गई हैं , अर्जुन नेगी ने इन पर उपरोक्त त्वरित कार्यवाही सम्बन्धी जानकारी भी RTI द्वारा मांग ली है।
जैसे ही तकनीकी विश्वविद्यालय के कारनामे जगजाहिर हुए उन्होंने लीपा पोती के लिए एक जांच कमिटी बिठा दी।
हालांकि इस जांच कमिटी को बिठाने के लिये भी भरसक प्रयत्न जो राज्यपाल स्तर से किये गए थे उसी की अनुशंसा के बाद तकनीकी विश्वविद्यालय के कान पर जूँ रेंगी। इस कमिटी के माननीय सदस्य इस प्रकार हैं:
१. श्री गिरीश कुमार अवस्थी , रजिस्ट्रार (उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय , हरिद्वार)
२. डॉ. अम्ब्रीश एस विद्यार्थी , डायरेक्टर (सीमान्त इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी , पिथौरागढ़ )
सूचना के अधिकार से यह स्पष्ट हुआ है की तुला संस्थान को फर्जी मान्यता देने वाले निम्नलिखित सदस्य थे:
१. प्रोफेसर. एम एम एस रौथाण ( HNB गढ़वाल यूनिवर्सिटी )
२. प्रोफेसर. विपुल शर्मा , गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय)
३. प्रोफेसर. के के एस मेर , आईटी गोपेश्वर
४. प्रोफेसर. ऐस . के . गोयल ( कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी , पंतनगर)
५. प्रोफेसर. अजय गैरोला , IIT रूडकी
६.. प्रोफेसर. प.सी . उपाध्याय iit , bhu (वाराणसी)
७. प्रोफेसर. मालगुडी , गवर्नमेंट PG कॉलेज गोपेश्वर
८. मिसेस रचना थपलियाल , एग्जीक्यूटिव इंजीनियर , PWD
यह तो स्पष्ट हो ही चुका था कि इन महान गुरुजनो ने अनुमोदन करते हुए कितनी निष्पक्षता तथा ईमानदारी से अपना दायित्व निभाया है, क्यूंकि फ़र्ज़ी शिक्षकों की अयोग्यता स्पष्ट हो चुकी थी तथा पियूष धूलिया , अंकुर गुर्जर एवं सनी सैनी एक क्षण के लिये भी अपने पद पर रहने के अयोग्य हैं।
rti कार्यकर्ता अर्जुन सिंह ने इसी सन्दर्भ में तकनीकी विश्वविद्यालय से त्वरित कार्यवाही की जानकारी की मांग अपने अगले सूचना के अधिकार प्रपत्र में कर दी।
इसके अलावा अनुमोदन टीम की स्पष्ट मिली भगत देखते हुए उन पर भी उचित कार्यवाही की जानकारी की मांग कर ली। उक्त प्रपत्र की एक प्रतिलिपि देख सकते है, जिसमें अनुमोदन टीम , फ़र्ज़ी शिक्षकों तथा इस पूरे महासाज़िश के प्रमुख सूत्रधार तुलाज इंस्टिट्यूट पर की जाने वाली त्वरित कार्यवाही की भी मांग की गई है।
फिलहाल लगभग आधा महीने बीतने के बाद भी तकनीकी विश्वविद्यालय के जांच टीम के सदस्यों की जांच का कोई अता पता नहीं है।
अब चूँकि तकनीकी शिक्षा सीएम त्रिवेंद्र रावत के ही अंतर्गत है, मामले के ढुलमुल रवैये को देखते हुए RTI कार्यकर्ता उनके दरबार में भी इस प्रकरण को उठाने का मन बना चुके हैं।