जानकार अधिवक्ता को छोड़ कर सरकार ने किया नया अधिवक्ता । इसमे कोई साज़िश तो नही ?
देहरादून/ नई दिल्ली : पूरे देश को वह दिन याद है जिस दिन देश के हर अखबार,न्यूज़ चैनल व मीडिया जगत के फ्रंट पेज पर बड़ी बड़ी हैडिंग आयी थी ” सुभारती मेडिकल कॉलेज देहरादून सील ” DGP उत्तराखंड को सुप्रीम कोर्ट का आदेश 2 घंटे में सील करे।
जी हाँ कुछ ऐसा ही हुआ था देहरादून में क्योंकि 300 MBBS के छात्रों को ,सरकार को व सुप्रीम कोर्ट को गुमराह कर फर्जी दास्तवेज लगा कर ,केस की जानकारी छुपा कर व फर्जीवाड़ा करके MBBS के दाखिले किये गए व अरबो रुपये फीस वसूली गयी साथ ही 5 साल का ठेका भी अभिभावकों से फर्जी रास बिहारी बोस सुभारती यूनिवर्सिटी के नाम पर कर उन्हें इस यूनिवर्सिटी के नाम से पहले वर्ष की जाली मार्कशीट भी MBBS की दे दी गयी और बाद में जब अभिभावकों व छात्रों को सच्चाई का पता चला तो उनके पांव तले जमीन खिसक चुकी थी ,मरते क्या न करते राज्य सरकार को पार्टी बनाते हुए अभिभावक व छात्र सुप्रीम कोर्ट से बड़ी मुश्किल राज्य के 3 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट हुए ।
राज्य सरकार के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है इनको 5 साल पढ़ाना क्योंकि 300 छात्रो के लिए MCI के मानक के अनुसार फैकल्टी, टीचर,डॉक्टर,उपकरण,यंत्र,परीक्षा ,प्रैक्टिकल आदि 5 वर्षो तक लगातार होने है जिस पर कई सौ करोड़ खर्च होंगे और राज्य सरकार का आलम यह है कि अभी हाल ही में 300 करोड़ कर्जा लेकर तनख्वाह बांटनी पड़ी ।
सरकार ने MCI के नियमों के अनुसार व इस वज्रपात को सहने के लिए 97 करोड़ की सुभारती की रिकवरी तो निकाल दी पर रिकवरी व कुर्की के आदेश को सुभारती ने नैनीताल उच्च न्यायालय में चुनौती दी जहाँ न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया ने आदेश किया कि पहले सुभारती 25 करोड़ जमा करवाये तब उनकी आगे सुनवाई होगी
पर सुभारती ने 25 करोड़ जमा नही करवाये और न्यायमूर्तिं धूलिया के आदेश जो माननीय मुख्य न्यायाधीश की डबल बेंच में चुनौती दी।
माननीय डबल बेंच ने अपने निर्णय में माननीय लिखा कि सुभारती ने फ्राड किया है और सुभारती ने जमीन के असली मालिक श्री मनीष वर्मा से एग्रीमेंट ही किया हुआ है और एग्रीमेंट की शर्ते पूरी नही की तथा सुभारती द्वारा असली मालिको को दिए चैक बाउन्स हो गए है व उनकीं बैंकों की देनदारी भी सुभारती द्वारा नही दी गई । लिहाज़ा सबको अंधेरे में रख व गुमराह कर सुभारती ने धोखाधड़ी की है इसलिए माननीय सिंगल बेंच का आदेश सही है और सुभारती की अपील खारिज कर दी। इस जजमेंट को 7 अगस्त से 17 अगस्त हो गयी पर सरकार के कान पर 97 करोड़ वसुलने के लिए जू तक नही रेंगी और आज 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट ने दिखा दिया कि सुभारती डबल बेंच के आदेश को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
इस पूरे प्रकरण पर सरकार की हीलाहवाली व ढीलापन स्पष्ट दिखता है, जबकि मीडिया में यह प्रकरण सुर्खियों में रहता है। खासकर जब अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा सबसे ज्यादा जानकर व वरिष्ठ अधिकारी ओम प्रकाश हो और ये विभाग मुख्यमंत्री का हो।
इसी क्रम में आज हुए एक बहुत बड़े बदलाव में जनता यह जानकर हैरान थी कि जिस वरिष्ठ वकील व राज्य के सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट जनरल ने यह सारी लड़ाई लड़ी व सारी स्थिति के जानकार जे के सेठी के स्थान पर नए वकील को सुप्रीम कोर्ट में खड़ा किया जा रहा है, जिन्हें ऊक्त प्रकरण की कोई जानकारी ही नही है ।
अब देखना यह है कि इसका क्या निर्णय आता है और सरकार सुभारती के संचालको अतुल भटनागर्न,मुक्ति भटनागर,यशवर्धन रस्तोगी,श्रीराम गुप्ता,जी सी श्रीवास्तव ,अवनी कमल, अविनाश श्रीवास्तव आदि पर क्या कार्यवाही करती है क्योंकि अभिभावकों व छात्रो के सैकड़ों आवेदन, शिकायतें ,FIR तो DM ,SSP व निदेशक के यहाँ कचरे के डिब्बे में पड़ी है।