कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में 70 वर्षीय बीमार को डोली में ले जाती तस्वीरों पर लिखी गई खबर का बड़ा असर देखने को मिला है। पर्वतजन की खबर के बाद दुर्गम मलुवाताल गांव की हकीकत जानने के लिए आजादी के बाद पहली बार कोई जिलाधिकारी पांच किलोमीटर पैदल चलकर मलुवाताल गांव पहुंचा।
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बीती 27 अगस्त को पर्वतजन ने अपनी खबर में ग्रामीणों की समस्याओं को उजागर किया था । खबर पढ़ने के बाद आज नैनीताल के जिलाधिकारी सवीन बंसल खुद उबड़ खाबड़ पथरीले मार्गों से होते हुए मलुवाताल गांव पहुंचे।
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उस गांव के ग्रामीण भी इसी रास्ते से पांच किलोमीटर पैदल चलकर नजदीकी मोटर मार्ग तक पहुँचते हैं। नैनीताल जिले में भीमताल ब्लॉक के मलुवाताल गांव तक पहुंचने के लिए जंगलिया गांव के पहाड़ के बाद पड़ने वाली कलसी नदी को भी पार करना पड़ता है।
स्थानीय लोगों को इसी पैदल मार्ग से आना जाना पड़ता है। यहां बीमार, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और वृद्धों को डोली से लाया और ले जाया जाता है।
आज आजादी के 72 वर्ष बीत जाने के बाद वर्ष 2000 में बने इस पहाड़ी राज्य में पहली बार कोई जिलाधिकारी हिम्मत करके पांच किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचा है । जिलाधिकारी ने मलुवाताल के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में आयोजित बहुउददेशीय शिविर में जनसमस्यायें सुनी।
ग्रामीणों ने भी उनका फूलमालाओं और ढोल नगाडों से भव्य स्वागत किया। सडक ना होने की मुख्य समस्या पर अधिशासी अभियन्ता, पी.एम.जी.एस.वाई.ने बताया कि मलुवाताल के लिए पूर्व मे सडक प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन भूगर्भीय रिपोर्ट के अनुसार गांव का कुछ हिस्सा भू-स्खलन जोन मे आने के कारण विस्थापन की वजह से सडक प्रस्ताव लम्बित है।
ग्रामीणों की सड़क बनाने की मांग पर जिलाधिकारी ने उपजिलाधिकारी, भूगर्भीय(जियोग्राफिकल)सर्वे अधिकारी, अधिशासी अभियन्ता पी.एम.जी.एस.वाई.और आपदा प्रबन्धन अधिकारी की चार सदस्यीय टीम बनाकर पुनः सर्वे कर अपनी रिपोर्ट शीघ्र जिलाधिकारी को प्रस्तुत करने को कह दिया है । जिलाधिकारी ने ग्रामीणों की दूसरी प्रमुख समस्याओं के समाधान का भी भरोसा दिलाया है।