शिक्षा विभाग के फर्जीवाड़े में जीरो टॉलरेंस की सरकार से नही मिला न्याय, हाई कोर्ट ने डी एम को दिए जांच के आदेश, पर्वत जन ने सबसे पहले किया था मामले का खुलासा।
शिक्षा विभाग के इस फर्जीवाड़े का पर्वत जन ने इसी साल खुलासा किया था,जिस पर अब हाई कोर्ट ने मुहर लगा दी है। मामला एक वित्तीय सहायता प्राप्त अशासकीय विद्यालय जनता जूनियर हाई स्कूल बोलियाधार टिहरी गढ़वाल का है,जिसमें पहले सहायक अध्यापक हिंदी के पद पर तीन वर्ष से कार्य कर रहे प्रवीण तिवारी को हटाकर एक फर्जी डिग्री धारक को बारह साल पुराने विज्ञापन के आधार पर जिले के पूर्व मुख्य शिक्षा अधिकारी तथा विद्यालय की मिलीभगत से हाई कोर्ट का आदेश बताकर नियुक्ति दी गई।जिसकी शिकायत प्रदेश में गठित एस आई टी तथा मुख्यमंत्री,शिक्षा मंत्री से भी की गई किन्तु न्याय नहीं मिला।
हाईकोर्ट का आदेश
हालांकि बाद में हाई कोर्ट के आदेश पर निअसरदेशक द्वारा इस फर्जी डिग्री धारक की सेवा समाप्ति के आदेश दिए गए।
इसी विद्यालय में एक अन्य मामले में सहायक अध्यापक गणित विज्ञान के पद पर विद्यालय के प्रबन्धक तथा प्रभारी प्रधानाध्यापक द्वारा पहले अखिलेश बडोनी से डेढ़ वर्ष तक कार्य करवाया तत्पश्चात इन्हे हटाकर अन्य व्यक्ति को पुरानी तिथि पर उपस्थिति पंजिका में संशोधन कर ,फर्जी विज्ञापन,फर्जी साक्षात्कार दिखाकर अनुमोदन हेतु पत्रावली पहले तो विभाग को भेजी तथा बाद में विभागीय अधिकारियों के साथ मिलकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई, इस फर्जीवाड़े की शिकायत भी मुख्यमंत्री,शिक्षा मंत्री तथा पूर्व जिला अधिकारी से की गई जिसमें पहले खंड शिक्षा अधिकारी भिलंगना तथा बाद में तहसीलदार घनसाली को जांच अधिकारी बनाकर भेजा गया किन्तु जांच अधिकारी आरोपी को बचाने का प्रयत्न करने लग गए जिस कारण जांच निष्पक्ष नहीं की गई।
इन दोनों मामलों में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए पूर्व मुख्य शिक्षा अधिकारी समेत विद्यालय के खिलाफ डी एम टिहरी गढ़वाल को जांच अधिकारी बनाकर 19 नवंबर तक जांच पूरी करने के आदेश दिए हैं। उम्मीद है कि साफ छवि रखने वाले वर्तमान डी एम अपनी लोक छवि के अनुरूप कार्य करेंगे ,जिससे पीड़ित पक्ष को न्याय मिल सके।