जगदम्बा कोठारी
रूद्रप्रयाग। विश्व प्रसिद्द 11वें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ के कपाट आज सुबह भैयादूज के शुभ अवसर विधी विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिये गये हैं।
आज सुबह मंदिर के मुख्य रावल भीमाशंकर ने स्वंयभू ज्योतिर्लिंग को समाधी रूप देकर भस्म से ढक दिया। सुबह 5:30 पर बाबा की पंचमुखी भोग मूर्ती का श्रंगार कर मूर्ती को चल विग्रह डोली मे रखकर भक्तों के दर्शनों के लिए रखा गया।
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बाबा केदार की चल विग्रह उत्सव पंचमुखी डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओमकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान कर गयी है। श्री केदार की उत्सव डोली आज अपने पहले पड़ाव रामपुर मे रात्री विश्राम करेगी और 31 अक्टूबर को अपनी शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ पहुंचेगी जहां छह माह तक केदारनाथ की पूजा ओमकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ मे होगी।
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यहां अन्य धार्मिक मान्यातांयें पूरी करने के बाद ऊखीमठ प्रशासन और बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अधिकारियों की मौजूदगी मे केदारनाथ के ताले सील करते हुए चाभी ऊखीमठ के उप जिलाधिकारी वरूण अग्रवाल को सौंपी गयी।
इसके बाद सुबह 8:55 पर बाबा केदार की डोली गढ़वाल रेजीमेंट के बैंड और हजारों श्रद्धालुओं के साथ अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओमकारेश्वर के लिए प्रस्थान कर गयी। रात्रि विश्राम डोली रामपुर मे करेगी जहां गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत डोली की अगुवाई करेंगे। बीकेटीसी के कार्याधिकारी एनपी जमलोकी ने बताया कि श्रीकेदार की डोली कल बुधवार को रामपुर से होकर काशी विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी और रात्रि विश्राम कर 31अक्टूूबर को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओमकारेश्वर मंदिर मे विराजमान होगी।
जून 2013 मे आयी प्रलय के बाद से इस वर्ष केदारनाथ मे यात्रियों की संख्या मे रिकार्ड इजाफा हुआ है। पिछले वर्ष धाम मे पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या 7 लाख 32 हजार 241 थी जो कि इस वर्ष बढ़कर 9 लाख 94 हजार 701 पार कर रिकार्ड तक पहुंच गयी।