हरिद्वार आयुर्वेद मेडिकल कालेज की यह एक रसीद एक लाख की है। एक छात्र सलमान मोहम्मद ने अपना वार्षिक शुल्क जमा किया और उन्हें एक परचून पर मिलने वाली रसीद प्राप्त हुई, जिस पर बाकायदा प्रिंसिपल साहब के सिग्नेचर तथा कॉलेज की मोहर है।
अगर इस स्तर पर मेडिकल कॉलेज होगा तो यहां से डॉक्टर किस स्तर के निकलेंगे, आप इस बात का अंदाजा खुद लगाएं।
उत्तराखंड सरकार रोज दावा करती है कि पहाड़ों में डॉक्टरों की कमी है। एक बार सोच कर देखिए कि यह कमी कहां है ! जो लोग पढ़ना चाहते हैं, उनको पढ़ाई के नाम पर मूर्ख बनाया जा रहा है। यह फीस रसीद बीएएमस पाठ्यक्रम मे वर्ष 2016-17 के शैक्षिक सत्र की है।ये रसीदें वर्ष 2018 के अगस्त सितम्बर महीने मे दी गयी है।
मेडिकल कॉलेज का अगर यह स्तर है तो अन्य कॉलेज स्कूलों का क्या हाल होगा !
गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेजों के लगभग 35 सौ छात्र पिछले 45 दिनों से भी अधिक समय से भूख हड़ताल और धरने पर बैठकर आंदोलन कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने भी इनके पक्ष में फैसला दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सिर्फ इसलिए चुप हैं क्योंकि इसमें अधिकांश कॉलेज भाजपा के नेताओं के हैं।
यह एक अहम मुद्दा है, क्योंकि युवा छात्र इस राज्य का ही नहीं इस देश का भी भविष्य होता है और अगर आप भविष्य के साथ खिलवाड़ करेंगे तो आप खुद को भी गर्त में ले जा रहे हैं और जहां से निकल पाना असंभव लगता है।