दिनेश रावत
रवाँई क्षेत्र अपनी जिस भवन शैली के लिए विख्यात है, वह है क्षेत्र के विभिन्न गाँवों में बने चौकट। चौकट शैली के ये भवन यद्यपि विभिन्न गाँवों में अपनी उपस्थिति बनाये हुए हैं, मगर इन सबका सिरमोर कोटी बनाल का छः मंजिला चौकट ही है, जो 1991 की विनाशकारी भूकम्प सहित समय-समय पर घटित तमाम घटनाओं को मात देते हुए आज भी अपने वजूद को बचाए हुए है।
उल्लेखनीय है कि बस्टाडी़ नामे तोक में पहली बार जब इस भवन की बुनियाद बनायी गयी तो भवन शैली का जानकार लोग इसकी विशालता की कल्पना करने लग गये। कोटी में निवास करने वालों गंगाण रावतों का यह पहला भवन था। इसलिए इसकी जैसे ही इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ, किसी गुप्तचर ने राज दरवार में इस बात की खबर पहुँचा दी कि बनाल पट्टी के कोटी गाँव में कुछ बाहरी लोग आकर अपना राज महल तैयार कर रहे हैं।
राजा को इस बात खबर लगती ही सम्बंधित को राज दरवार में हाजिर होने का फरमान जारी कर दिया गया। राज आज्ञा को मानते हुए भवन निर्माता रावत परिवार का मुखिया राज दरवार में उपस्थित होकर वस्तु स्थिति स्पष्ट करता है। राजा को फिर भी यकिन नहीं होता है, सो वह जाँच बिठा देता है और जाँच पूरी न हो जाने तक बराबर पेसी में उपस्थिति अनिवार्य थी। बताया जाता है कि ये रावत दो भाई थे, इसलिए एक भाई भवन निर्माण को आगे बढा़ता रहता है तो दूसरा राज दरवार में उपस्थिति दर्ज करवाते हुए अपनी स्थिति स्पष्ट करता है। होते करते बस्टाडी़ नामे तोक में यह आलिशान पंच पूरा भवन बन कर जैसे ही तैयार होता है, लोग इसकी विशालता व काष्ट एवं वास्तु कला को देख इसे कोठी-कोठी कहने लगते हैं। गाँव के मध्य में बनी इसी कोठी के कारण यह गाँव आरम्भ में कोठी और बाद में कोटी के रूप में सुविख्यात हो जाता है और बस्टाडी़ कोठी के चलते कोटी बन जाता है…।