कुमार दुष्यंत/हरिद्वार
जी, हां! कृषि व बागबानी के लिए जहां खेतों व खेती की जमीन की आवश्यकता होती है। वहीं हरिद्वार में यह काम राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के आश्रम में फर्श पर हो रहा है। यह गडबडझाला आरटीआई में सामने आया है। जिससे पता चलता है कि सिंचाई विभाग की भूमि को महज आश्रम के साथ मर्ज करने के लिए कृषि करने के नाम पर पट्टे पर ले लिया गया है, जबकि उक्त भूमि पर पक्का निर्माण है। सिर्फ इतना ही नहीं आश्रम के अंदर इसी तरह हासिल किये गए करीब दर्जनभर नगरीय भूमि के पट्टों पर कथित रुप से खेती की जा रही है!
हरिद्वार में धर्मगुरु व उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का विशाल प्रेमनगर आश्रम है। सैकडों बीघे में फैले इस आश्रम में धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है। एक वक्त आश्रम काफी सीमित जगह में हुआ करता था, जबकि वर्तमान में इसका फैलाव हजारों हेक्टेयर भूमि में है।
असल में इस आश्रम के आसपास पट्टों की ऐसी सैंकडों बीघा भूमि थी। जिसके पट्टेधारियों का लंबे समय से कुछ अतापता नहीं है। आश्रम के अनुयायियों व प्रबंधकों ने शासन तक पहुंच का लाभ उठाकर यह पट्टे अपने नाम कराकर आश्रम के साथ मर्ज करा लिए, लेकिन पट्टों को जिन नियमों व शर्तों के तहत हासिल किया गया, उसपर सवाल खडे हो रहे हैं। इन एक दर्जन से अधिक पट्टों को 2012 में हासिल किया गया, जबकि 13 पट्टे तो एक ही दिन में हासिल किये गए। इनमें कुछ पट्टों को खेती व कोई पक्का निर्माण न किये जाने की शर्तों पर हासिल किया गया, जबकि आश्रम में इन पट्टों पर कोई खेती नहीं हो रही, बल्कि नियम विरुद्ध निर्माण भी किया गया है।
इसके अलावा तेरह पट्टे विशेष मारुषि काश्तकार योजना के तहत हासिल किये गए हैं, जबकि खेवट भूमि के यह पट्टे वर्तमान में आबादी की भूमि में अवस्थित हैं, लेकिन आश्रम को इन पट्टों की मार्फत सैंकडों बीघा भूमि कृषि के लिए दे दी गई है। जिसपर सवाल खडे हो रहे हैं।
इस पूरे मामले में गडबडझाला इस लिए भी दिख रहा है कि नियम व शर्तों का पालन न होने के बावजूद इन पट्टों का नवीनीकरण भी किया जा रहा है। नियम के अनुसार इन पट्टों का नवीनीकरण शासन स्तर पर ही किया जा सकता है, जबकि एसडीएम स्तर से ही इन पट्टों को नवीनीकृत कराने की औपचारिकता पूरी की गई है। पट्टों पर हासिल की गई इस सैंकडों बीघा भूमि के कारण ही कभी सतपाल महाराज व नगर विकास मंत्री मदन कौशिक के मध्य विवाद रहा करता था। पट्टों से हासिल भूमि से हुए आश्रम के विस्तार के बाद आश्रम द्वारा नगर विकास मंत्री के आवास के सामने गली में आश्रम का गेट खोलने को लेकर कई बार विवाद हुआ। मदन कौशिक समर्थक मनोज गर्ग द्वारा 2017 में मेयर रहते हुए आश्रम का गेट तोडने के विवाद का भी यह एक बडा कारण था। दो-दो मंत्रियों के आपसी टकराव के कारण तब सरकार भी असहज हो गई थी।