इस नीति में जो कि अगले वित्तीय वर्ष 2220-21 के लिए आनी है मे फॉरेन लिकर टू ( FL2 ) को लेकर एक बहुत बड़े संशोधन लाने की तैयारी है। सूत्रों की मानें तो अभी तक FL2 में यह व्यवस्था होती है कि कंपनी जो शराब बनाती है, वही FL2 यानी फॉरेन लिकर टू का गोदाम चलाती है। जिसका तात्पर्य शराब बिक्री से है।
लेकिन सूत्र बताते हैं सलाहकार और कुछ अन्य लोगों के दबाव में नए नवेले लोग जिनको चार्ज मिला, वह इसमें बड़े बदलाव की तैयारी कर रहे हैं और इसके बाद इसमें व्यवस्था कुछ इस प्रकार से हो सकती है कि कोई भी व्यक्ति ले सकता है और FL2 जो व्यक्ति लेगा, उसको फिर मिलने के लिए नियम क्या होंगे यह नियमावली आबकारी मुख्यालय और आबकारी के आयुक्त स्तर से बननी है।
सूत्र बताते हैं कि नियमावली को कुछ डिजाइन इस तरीके से किया जाएगा कि यह काम चुनिंदा प्रश्नों को ही मिल सके। ऐसा लगता है यह सारा कारनामा डेनिश शराब के रिटर्न होने जैसा ही लगता है।
वहीं आबकारी मुख्यालय के कुछ अफसर इस बात से भी नाराज हैं कि आखिर सलाहकार के घर यदि कोई प्रस्तावित नीति भेजी गई तो उसमें आपत्ति क्या है !
योग्य अफसरों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आबकारी नीति बेहद गोपनीय विषय है जो पहले कैबिनेट में चर्चा में लाया जाएगा, इसके बाद सरकारी पैसे बच पाएगा इसके बाद ही वह नीति के रूप में आएगा।
सलाहकार को यदि कुछ पूछना बताना है तो वह सरकार को या मुख्यमंत्री को सीधे ही बता सकता है।
इससे बड़ा मजाक नहीं हो सकता की नीति आने से पहले ही सलाहकार के घर गई और सलाहकार चर्चा करके तय कर रहे हैं कि इसमें क्या हो और क्या ना किया जाए।
अब एक नई लड़ाई इस बात को लेकर शुरू हो गई है कि
आबकारी मुख्यालय के जो अफसर हैं, वह अपने मातहतों को किसी तरह किसी भी मामले में फंसाकर निपटा कर अपने चहेतों को एक बार समय से पूर्व तबादला करा कर जिलों में लाने की तैयारियों में जुट गए हैं।
आबकारी मुख्यालय के ऊपर शासन स्तर से नहीं बल्कि सरकार स्तर पर यह सलाह दी है कि हम कुछ भी नहीं बना लें यदि जिले स्तर पर हमारे मुताबिक जिला आबकारी अधिकारी नहीं होंगे तो हमारी योजना फेल हो जाएगी।
बाहर देखना होगा कि जीरो टॉलरेंस का दंभ भरने वाली सरकार आखिर वास्तव में प्रस्तावित आबकारी नीति को लेकर कितना उचित उचित फैसला लेती है जबकि यह पहले ही जगजाहिर हो चुका है कि प्रस्तावित नीति लीक हो चुकी है और इसमें बहुत बड़ा परिवर्तन हो सकता है।