उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की खबरों से सोशल मीडिया पर लगी आग को बुझाने के लिए जहां सरकार ने भाजपा की आईटी सेल और अपने दोनों मीडिया सलाहकारों को सक्रिय कर दिया है और इन खबरों को केवल अफवाह बताने के साथ ही ऐसी अफवाह फैलाने का ठीकरा मीडिया के मत्थे मढ़ दिया है, वहीं मुख्यमंत्री के सलाहकार केएस पंवार की कंपनी सोशल ग्रुप द्वारा संचालित न्यूज पोर्टल सोशल विकास समाचार ने इन खबरों के लिए उत्तराखंड के एक मंत्री को जिम्मेदार ठहराया है।
सीएम सलाहकार से जुड़े सोशल ग्रुप के सोशल समाचार
पर्वतजन के पाठकों के सुलभ संदर्भ के लिए यहां इस खबर के स्क्रीनशॉट की दिए गए हैं।
इसमें दावा किया गया है कि कुछ दिन पहले शराब माफिया और खनन माफिया से उत्तराखंड के एक मंत्री ने उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की खबरों को उछाला है। क्योंकि शराब माफिया और खनन माफिया को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की नीतियों से काफी दिक्कत हो रही है।
मुख्यमंत्री के सलाहकार के एस पवार द्वारा संचालित कंपनी सोशल ग्रुप के माध्यम से ही चलाए जा रहे मीडिया “सोशल समाचार” ने शुरुआत में ही यह दावा किया है कि हरियाणा और दिल्ली के खनन माफिया से उत्तराखंड के एक बड़े मंत्री की मीटिंग हुई है और उसमें बड़े स्तर पर पैसे का लेनदेन हुआ है। जिसके कारण उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की खबरों को फर्जी पत्रकारों के द्वारा चलाया जा रहा है।
यदि वाकई मुख्यमंत्री खेमे के इस मीडिया पोर्टल की खबर में सच्चाई है तो फिर उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की खबर महज अफवाह नहीं है। बल्कि कहीं ना कहीं नेतृत्व परिवर्तन के लिए सरकार का ही एक खेमा जोर लगाए हुए हैं। और यदि वाकई खनन माफिया और शराब माफिया की मिलीभगत है तो फिर यह दोनों डिपार्टमेंट तो मुख्यमंत्री के अधीन ही है ऐसे में…..
पहला अहम सवाल यह है कि क्या इसका मतलब यह मान लेना चाहिए कि नेतृत्व परिवर्तन की खबर महज अफवाह नहीं है बल्कि वाकई ऐसा करने में सरकार में ही शामिल चेहरे लगे हुए हैं।
दूसरा अहम सवाल यह है कि क्या यह दोनों महकमे मुख्यमंत्री से संभल नहीं रहे जो उन्हीं के महकमे में उनके खिलाफ साजिशें बुनी जा रही हैं !
तीसरा सवाल यह है कि यदि वाकई किसी मंत्री द्वारा। यह साजिश। की जा रही है तो। उस मंत्री के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही ?
हाल ही में हुई एक कैबिनेट निर्णय में सरकार ने चुगान करने की गहराई डेढ़ मीटर से बढ़ाकर 3 मीटर कर दी है। इससे व्यापक स्तर पर नदी तटों के कटाव होने और बाढ़ आने का खतरा बढ़ गया है। इस निर्णय की चौतरफा आलोचना हो रही है।
दूसरा हाल ही में यह पता चला है कि नई बन रही आबकारी नीति का ड्राफ्ट कैबिनेट में आने से पहले ही मुख्यमंत्री के एक सलाहकार के घर चला गया है और उसमें एफएलटू का कार्य निजी कंपनियों को सौंपने के लिए भूमिका तैयार की जा रही है। ताकि मुंबई के कुछ बड़े चहेतों को एफएलटू का व्यापार सौंपा जा सके।
इन दोनों निर्णय को लेकर सरकार पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में अहम सवाल यह है कि जब शराब और खनन व्यवसायियों के पक्ष में पहले ही निर्णय सरकार ले चुकी है तो भला वह सरकार में नेतृत्व परिवर्तन करने के लिए क्यों लगे हुए हैं !
वहीं मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने फेसबुक पर लिखी एक पोस्ट में इन खबरों को केवल अफवाह बताया है।
जबकि मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार केएस पंवार के सूत्रों के अनुसार नेतृत्व परिवर्तन की साजिश उत्तराखंड के एक मंत्री द्वारा दिल्ली और हरियाणा के खराब व खनन व्यवसायियों के साथ मोटे धन के लेनदेन के साथ की जा रही है।
मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट की पोस्ट
सरकार के दो सलाहकारों के परस्पर दो विरोधी कथनों से यह साफ हो जाता है कि सरकार में सब कुछ ऑल इज वेल नहीं है, बल्कि कुछ न कुछ ऐसा है जो आने वाले समय में धरातल पर दिख सकता है।