भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय मीडिया टीम के सदस्य और उत्तराखंड भाजपा के पूर्व प्रवक्ता सतीश लखेड़ा ने गैरसैंण पर बड़ा निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का आभार जताया है। उन्होंने कहा पृथक राज्य की अवधारणा के अनुरूप यह ऐतिहासिक फैसला है। अब गैरसैंण को शीघ्र नए जिले का दर्जा देकर भावी अवस्थापना, विकास तथा पूर्ण राजधानी के संकल्प को अमलीजामा पहनाया जा सकेगा। प्रत्येक राजधानी का स्वाभाविक रूप से एक प्रशासनिक जिला होता है, माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के बाद जिसका तत्काल निर्माण आवश्यक है।
लखेड़ा ने कहा कि पृथक राज्य आंदोलन में 42 से अधिक शहादतें, मुजफ्फरनगर जैसा वीभत्स कांड, गैरसैंण राजधानी के लिये बाबा मोहन उत्तराखंडी के बलिदान के बदौलत पर्वतीय प्रदेश की पर्वतीय राजधानी का संकल्प मजबूती से आगे बढ़ा है और एक दिन गैरसैंण राज्य की स्थाई राजधानी के रूप में स्थान लेगा।
चमोली जिले के कर्णप्रयाग, पौड़ी के दूधातोली क्षेत्र व अल्मोड़ा के चौखुटिया – द्वाराहाट- मासी तक का क्षेत्र गैरसैंण जिले के अंतर्गत सम्मिलित किया जाये, इन क्षेत्रों का अनेक बार अध्ययन भी हो चुका है। मुख्यमंत्री जी भावी चोरड़ा झील का स्थलीय निरीक्षण, आगामी सुविधाओं को लेकर की गई बैठक उनके मजबूत संकल्प का परिचायक है।
सतीश लखेड़ा पृथक राज्यआंदोलन के साथ गैरसैण राजधानीआंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। 2004 में गैरसैण राजधानी निर्माण हेतु गैरसैंण से देहरादून तक की पन्द्रह दिवसीय पदयात्रा तथा देहरादून सचिवालय के बाहर पांच दिवसीय अनशन भी कर चुके हैं। सतीश लखेड़ा पहले ऐसे आंदोलनकारी हैं जिन्होंने 1998 में पृथक राज्य उत्तराखंड के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा लखनऊ में और राजधानी गैरसैण के लिए देहरादून विधानसभा में पर्चे फेंक कर गिरफ्तारी दी। लखेड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने जन भावनाओं के अनुरूप ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय लिया है और सही मायनों में अब पर्वतीय माइंडसेट का विकास मॉडल आगे बढ़ेगा।