जीरो टोलरेंस पर भारी… ‘प्राणप्यारी’
परिवारवाद पर विपक्षियों को घेरने वाली भाजपा परिवारों पर ही उलझी
समाज में नजीर पेश करने की बजाय पत्नियों के दबाव में उत्तराखंड सरकार
8 अगस्त को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विभिन्न शिक्षक संगठनों के साथ विभिन्न मुद्दों पर लंबी वार्ता की। शिक्षक संगठन लंबे समय से विभिन्न मांगों को लेकर सरकार से द्विपक्षीय वार्ता के इच्छुक थे। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे की गैरमौजूदगी में हुई इस बैठक में शिक्षक संगठन सरकार पर भारी पड़ते दिखे। यही कारण रहा कि
बैठक खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री ने बाकायदा बयान जारी किया कि उन्होंने अधिकारियों को आदेश दे दिए हैं कि शिक्षकों के साथ शेष कर्मचारियों की भांति व्यवहार न किया जाए। उनके सम्मान का विशेष ध्यान रखा जाए।
इस बैठक में शिक्षक संगठनों ने मुख्यमंत्री के सामने अपना एक लंबा-चौड़ा मांग पत्र सशर्त रख दिया कि यदि उत्तराखंड सरकार इन मांगों को पूरी करती है, तभी आने वाले शिक्षक दिवस के बाद शिक्षक अपनी मर्जी अनुसार ड्रेस कोड बनाएंगे। सरकार द्वारा बनाए गए ड्रेस कोड को शिक्षक संगठनों ने सिरे से खारिज कर दिया।
त्रिवेंद्र सिंह रावत उस सरकार में भी काबीना मंत्री थे, जिस सरकार ने उत्तराखंड में तबादला कानून लाकर तब हलचल मचा दी थी कि वो सरकार प्रदेश से तबादला उद्योग को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस बैठक में त्रिवेंद्र सिंह रावत तबादला कानून पर तब शिक्षकों से राय मांगते दिखाई दिए, जबकि प्रवर समिति इस संबंध में अपनी रिपोर्ट विधानसभा में पेश कर चुकी है। दबाव इतना अधिक है कि खुद मुख्यमंत्री शिक्ष
कों को आश्वस्त करते रहे कि उनके द्वारा दिए गए सुझाव कैबिनेट के जरिए कानून में शामिल करने के प्रयास किए जाएंगे।
इन संगठनों द्वारा की गई घेराबंदी से मुख्यमंत्री लाचार नजर आए। बैठक के बाद राजकीय शिक्षक संघ ने ऐलान किया कि वो शिक्षा मंत्री के साथ बैठक करने के बाद अगला निर्णय लेगा। यह दबाव सरकार पर तब दिखाई दे रहा है, जब सरकार ५७ विधायकों के साथ भारी बहुमत में है।
इस बैठक के समाप्त होने के बाद नाम न छापने की शर्त पर संगठन के एक पदाधिकारी ने बताया कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री या शिक्षा मंत्री उनका बाल भी बांका नहीं कर
सकते। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उत्तराखंड के वित्त, आबकारी और पेयजल मंत्री प्रकाश पंत की पत्नी पिथौरागढ़ से देहरादून पिछले पांच वर्षों से अटैचमेंट के माध्यम से पढ़ा रही हैं और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पत्नी भी वर्षों से देहरादून के सुगम क्षेत्र में पढ़ा रही हैं। उक्त पदाधिकारी ने बताया कि जब तक प्रकाश पंत और त्रिवेंद्र रावत की पत्नी देहरादून में हैं, तब तक शिक्षक संगठनों को किसी प्रकार का कोई संकट नहीं है।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का ड्रेस कोड को आवश्यक से स्वैच्छिक वाला बयान भी उत्तराखंड के मंत्री-विधायकों की शिक्षिका पत्नियों के कारण ही बदला। आखिरकार इतने भारी-भरकम वेतन वाले मंत्री-विधायक और शिक्षिकाओं के वेतन से खरीदी गई ब्रांडेड साडिय़ां स्कूलों में नहीं पहनी जाएंगी तो वे कहां पहनेंगी।
देखना है कि मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री की पत्नियां कब ड्रेस कोड के साथ किसी मीडियाकर्मी के कैमरे में कैद होती है!