राजेश आर्य/रुड़की
रिलीफ बायोटेक कंपनी में महिलाओं के आर्थिक और मानसिक शोषण के मामले ने तूल पकड़ लिया है और पूरा मामला रुड़की एसपी देहात के दरबार में जा पहुंचा है।
उधर कंपनी के मालिकान से लेकर प्रबंध तंत्र प्रशासन को तरह-तरह की सफाई पेश करने के मामले से पल्ला झाडऩे में लगा है।
शहर के दिल्ली हरिद्वार मार्ग से स्थित रिफिल बायोटेक कंपनी में दो दर्जन से अधिक महिलाएं व युवक ठेकेदारी प्रथा में वर्षों से कार्यरत हैं। महिलाओं का आरोप है कि मार्च के बाद से कंपनी प्रबंध तंत्र द्वारा अभी तक कोई वेतन नहीं दिया गया, जबकि लॉकडाउन की अवधि में सरकार की गाइडलाइन में साफ कहा गया है कि कोई भी कंपनी किसी भी कर्मचारी का वेतन नहीं काटेगा और न उन्हें नौकरी से निकालेगा, लेकिन सरकार और गृह मंत्रालय की गाइडलाइन का फरमान कंपनी प्रबंध तंत्र के लिए कोई मायने नहीं रखता।
महिलाओं का आरोप है कि जब वह कंपनी प्रबंधन से वेतन दिए जाने की मांग करती हैं तो वह उन्हें उल्टे-सीधे मामलों में फंसाकर नौकरी से निकालने की धमकी देते हैं। जिससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
कंपनी सूत्रों का कहना है कि कंपनी में कार्यरत कुछ अधिकारियों द्वारा महिलाओं से रसोई घर से लेकर अपने जरूरतमंद कार्य भी कराए जाते हैं और किसी के सामने मुंह न खोलने की धमकी दी जाती है। जिससे कंपनी प्रबंध तंत्र के अधिकांश मामले दबकर रह जाते हैं। लॉकडाउन की अवधि में वेतन न मिलने से खामोश बैठी महिलाओं में प्रबंध तंत्र के मामलों को परत दर परत खोलना शुरू कर दिया है।
कंपनी में कार्यरत महिला कर्मियों के शोषण की शिकायती प्रार्थना पत्र को पुलिस ने गंभीरता से लेकर उनके बयान दर्ज करने शुरू कर दिए हैं। एसपी देहात स्वपन किशोर का कहना है कि पूरे प्रकरण में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वहीं कंपनी के प्रबंधन ने सैलरी रोकने व अन्य आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पैसे की कमी के कारण हमने कर्मचारियों को दो पार्ट में सैलरी दी। हमारे यहां किसी कर्मचारी को कोई दिक्कत नहीं है।
उधर कंपनी के जनरल मैनेजर एनपी सिंह का कहना था कि उनकी कंपनी में महिला कर्मियों के साथ किसी भी प्रकार का कोई शोषण नहीं हो रहा है।