आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों हर्रावाला, ऋषिकुल, गुरूकुल में कार्यरत 30 आयुर्वेदिक स्टाफ नर्सों को छह माह से वेतन नहीं दिया जा रहा है जिससे कि इन नर्सेज के लिए जीवन निर्वाह एवं घर के खर्चे चलाना मुश्किल होता जा रहा है।
संगठनों मे आक्रोश
राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ (पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी *डॉ० डी० सी० पसबोला* द्वारा इस प्रकार से नर्सेज के *आर्थिक उत्पीड़न* को दु:खद एवं निंदनीय बताया गया है, जिससे कि नर्सेज *मानसिक* रूप से भी परेशान हैं।
यह आयुष प्रदेश के लिए एक शर्मनाक बात है कि आयुष कोरोना वारियर्स को वेतन के लिए छह माह से तरसाया जा रहा है। इससे उत्तराखण्ड के आयुष प्रदेश होने पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। यहां तक कि अब तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी कोरोना वारियर्स चिकित्सकों तथा हेल्थ वर्कर्स को वेतन न दिए जाने पर बड़ा फैसला देते हुए सैलरी न देने को कानूनी अपराध कहा है और राज्य सरकारों को बुधवार को जारी आदेश में एक दिन के अन्दर चिकित्सकों तथा हेल्थ वर्कर्स को वेतन देने का आदेश दिया गया है।
किन्तु बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी कि आयुष प्रदेश में स्टाफ नर्सेज को अभी तक छह माह का वेतन नहीं मिल पाया है।
मनोबल टूट रहा
इस सम्बन्ध में गढ़वाल क्षेत्र भारतीय चिकित्सा परिषद के निर्वाचित सदस्य *डॉ० महेन्द्र राना* द्वारा भी इस सम्बन्ध में एक पत्र आयुष मंत्री, मुख्यमंत्री तथा कुलपति, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय को लिखा गया है। जिसमें उन्होंने नियुक्ति से अब तक स्टाफ नर्सेज को वेतन न दिए जाने को इनका मनोबल तोड़ने वाला कृत्य बताया है।
विपक्ष हमलावर
इधर प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना द्वारा मुख्यमंत्री को खुला पत्र लिखकर एक सप्ताह में वेतन न दिए जाने पर विश्वविद्यालय में धरना देने की चेतावनी दी गयी है।
घोषणा प्रदेश
हालांकि विश्वविद्यालय की कुलसचिव *डॉ० माधवी गोस्वामी* द्वारा दो-तीन दिन में स्टाफ नर्सेज को वेतन देने का आश्वासन दे तो दिया गया है।
लेकिन यह बात देखने वाली होगी कि इस आश्वासन के बावजूद भी डबल इंजन की भाजपा सरकार में त्रिवेंद्र सरकार आयुष प्रदेश में आयुष नर्सेज को छह माह का वेतन जल्द से जल्द दिलवा भी पाती है या नहीं या फिर इस बार भी आयुष प्रदेश सिर्फ़ घोषणा प्रदेश ही बनकर रह जाएगा।