डेढ लेन सड़क के लिए बना तीन हजार प्रति दिन चलने का नियम
– सीएम त्रिवेंद्र का पहाड़ विरोधी काला कानून
पहाड़ी जिलों की अधिकांश सड़कें संकरी और जानलेवा बनी हुई है। सड़कों को चौड़ा करने के लिए कई बार लोगो के द्वारा मांग उठाई जाती रही है। मांग पूरी न होने के बाद कई बार लोग सरकार के खिलाफ लांबमद भी हुए है।लेकिन त्रिवेंद्र सरकार ने इसका बेहतर उपाय निकाला है।ताकि कभी पहाड़ की सड़कें चौड़ी ही न हो सके।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कई जनपदों में जाकर वहां की सड़कों को डेढ़ लेन, डबल लेन बनाने की घोषणा की थी। लेकिन घोषणाओ को धरातल पर उतारने के बजाए सरकार ने वर्ष 2018 में ऐसा कानून बना डाला कि जिन सड़को को डेढ़ लेन बनाना होगा उन सड़कों पर 3000 वाहनों की प्रतिदिन आवाजाही होनी जरूरी है। ठीक उसी तरह जिन सड़को को डबल लेन बनाना होगा उन पर 8000 वाहनों की प्रतिदिन आवाजाही होगी।
कर्णप्रयाग-पोखरी, नंदप्रयाग-घाट, थराली-देवाल को डेढ़ लेन चौडीकरण करने की घोषणा सीएम त्रिवेंद्र ने ही कि थी, लेकिन अब ये मानकों में नही आने से बाहर हो गई।
ऐसा कानून सीएम ने तब बनाया जब वह खुद जानते है कि, पहाड़ के किसी भी जनपद की सड़कों पर इतनी गाड़ियां एक दिन में चल ही नही सकती। बावजूद इसके भी यह काला कानून पास कर पहाड़ का विकास रोकने का कार्य त्रिवेंद्र सरकार के द्वारा किया गया है। जिससे अब पहाड़ी जनपदों की सड़कों का चौड़ा होने का रास्ता पूरी तरह तब तक बंद हो गया है, जब तक कि सरकार अपना यह पहाड़ विरोधी काला कानून वापस नही लेती।