ईडी की नजर से दूर आखिर किस अफसर का बन रहा महल! साहब अकूत दौलत के हैं मालिक
देहरादून। उत्तराखण्ड में कहने को तो जीरो टॉलरेंस की सरकार भ्रष्टाचार व घोटालेबाजों पर बडी नकेल लगाने का दम भर रही है। लेकिन राज्य में कुछ अफसर ऐसे हैं जिन्होंने अपनी तैनाती के दौरान अकूत दौलत का सम्राज्य स्थापित कर रखा है। लेकिन ऐसे अफसरों पर न तो कभी विजिलेंस की नजर गई है औंर न ही सरकार ने ऐसे अफसरों को गोपनीय रूप से चिन्हित करने का मिशन चलाया है। जिन्होंने राज्य में भ्रष्टाचार के सहारे अपना खजाना भरकर अकूत दौलत के मालिक बने हुये हैं? चर्चा यहां तक है कि, राज्य का एक अफसर राजधानी के एक पॉश इलाके में करोडो रूपये की लागत से एक बड़़ा महल तैयार कर रहा है, लेकिन इस महल पर सरकार की नजर आज तक क्यों नहीं गई। यह कई सवालों को जन्म दे रहा है?
वहीं एक और अफसर का सहस्त्रधारा रोड पर वन भूमि पर आलीशान महल बन रहा है।
राजपुर रोड पर एक आला अफसर करोडों की जमीन दबाकर आशियाने बनाए हुए है। कुछ देहरादून के विभिन्न अपार्टमेंट मे एक एक दो प्लैट्स दाबे बैठे हैं ।
हैरानी वाली बात है कि, भ्रष्टाचार से कमाई गई दौलत से बडा महल बनाने वाले अफसर पर ईडी की निगाह कब पहुंचेगी यह एक बडा सवाल खडा हो गया है?
चर्चाएं तो यहां तक है कि, अगर ईडी ने इनकी सम्पत्तियों को खंगालने के लिए ऑपरेशन चलाने के लिए कभी भी अपने कदम आगे बढाये तो राज्य की जनता भी हैरान हो जायेगी कि, किस तरह से इस नवोदित राज्य को यह अफसर अपने गुप्त भ्रष्टाचार से निचोड़ने में अपने कदम आगे बढाये हुए है?
चर्चा यहां तक है कि महल बनाने वाले अफसर के भ्रष्टाचार से सत्ता के कई राजनेता भली भांति परिचित हैं। लेकिन सबकुछ जानते हुए भी वह ऐसे अफसर पर शिकंजा कसवाने की दिशा में कभी क्यों आगे नहीं आना चाहते यह कई शंकाओं को जन्म देता आ रहा है?
उल्लेखनीय है कि, उत्तराखण्ड में पिछले बीस वर्षों से भ्रष्टाचारी अफसरों पर लगाम लगाने के दावे तो हर सरकार करती आई लेकिन आज तक उन भ्रष्ट अफसरों पर कभी भी शिकंजा नहीं कसा जा सका जिनके बारे में राज्य के अन्दर अकसर चर्चाएं पनपती रही हैं कि उन्होंने अपने कार्यकाल में अकूत सम्पत्ति अर्जित कर रखी है। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूरी ने भ्रष्टाचार पर कडा प्रहार करने के लिए लोकायुक्त का गठन करने के लिए हरी झण्डी दे दी थी और उनका साफ मानना था कि जिस अफसर ने भी भ्रष्टाचार करके बेनामी सम्पत्ति बना रखी हैं उन पर विजिलेंस अपना शिकंजा कसके उसके खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम का मामला दर्ज कर बेनामी सम्पत्ति को सीज करेगी। भुवन चन्द्र खण्डूरी के इस सपने से राज्य की जनता के मन में एक आशा की किरण जागी थी कि अब राज्य में भ्रष्टाचार करने वालों पर बडी नकेल लगेगी लेकिन खण्डूरी के सत्ता से हटते ही उनके आदेश हवा-हवाई हो गये थे। हालांकि भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में ऐलान किया था कि राज्य में भ्रष्टाचार पर नकेल लगाने के लिए लोकायुक्त का गठन किया जायेगा।
उत्तराखण्ड में प्रचंड बहुमत लेकर सरकार बनाने वाली भाजपा ने सौ दिन के भीतर लोकायुक्त का गठन करने का दम भरा लेकिन अचानक सरकार में लोकायुक्त का गठन किये जाने के अपने वायदे को यह कहकर पूरा नहीं किया कि उनके शासनकाल में जब भ्रष्टाचार ही नहीं होगा तो फिर लोकायुक्त का गठन करने की जरूरत ही क्या है? उत्तराखण्ड में तैनात कुछ अफसर हमेशा आवाम के निशाने पर रहते हैं और उनके मन में इस बात का बडा दर्द दिखाई देता है कि अगर राज्य में लोकायुक्त का गठन होता तो भ्रष्टाचार व घोटाले करने वाले अफसरों पर बडी कार्यवाही अमल में लाई जाती और उन अफसरों के मन में भी बडा डर होता जो बिना मिठाई का डिब्बा लिये काम करने से परहेज करते हैं? राज्य के गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि उत्तराखण्ड का एक अफसर जीरो टॉलरेंस सरकार में भी लम्बे समय से भ्रष्टाचार के दलदल में खूब गोते लगाता आ रहा है और उसमें सरकार का कोई डर देखने को नहीं मिल रहा?
चर्चाएं हैं कि यह अफसर राजधानी के एक पॉश इलाके में लम्बे समय से बडा महल तेयार कर रहा है जिसमें अब तक करोडो रूपये लग चुके हेैं ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार क्या सरकार का समूचा तंत्र इतना कमजोर हो चुका है कि उसे इस बात का इल्म ही नहीं है कि राजधानी में एक अफसर किस तरह से भ्रष्टाचार से कमाई गई दौलत से अपना बडा महल तैयार कर रहा है? उत्तराखण्ड की राजधानी में राजनीति करने वाले कुछ सफेदपोशों को भी इस अफसर का महल बनने की खबर है लेकिन अफसर से अपनी दोस्ती बनाये रखने के लिए वह कभी भी अपनी आवाज को बुलंद करने की दिशा में आगे नहीं आये जिससे कि यह खुलासा हो सके कि आखिरकार एक अफसर के पास ऐसा कौन सा जादुई चिराग है जिसे घिसते ही उसके पास अकूत दौलत आ गई हो? अब देखने वाली बात है कि क्या उत्तराखण्ड की राजधानी में अफसर के बन रहे महल पर क्या कभी ईडी की नजर जायेगी जिससे इस बात से पर्दा उठ सके कि राज्य में एक छोटा अफसर भी किस तरह से मात्र कुछ सालों में करोडों का मालिक बना बैठा है?