टिहरी गढ़वाल से गिरीश गैरोला//
घेरबाड़ अथवा चकबंदी की उठी मांग
उत्तराखंड के पहाड़ी गांवों मे इन्सानों के पलायन के बाद जंगली जानवरों का ऐसा आतंक हो चला है कि ग्रामीणों को रतजगा कर अपनी फसलों की सुरक्षा करनी पड़ रही है।
एक पखवाड़े से रात्री जागरण कर रही टिहरी जनपद मे भेट्टी गांव की महिलाओं ने पर्वतजन के माध्यम से सरकार तक अपनी फरियाद भेजी है।
टिहरी जनपद के घनसाली ब्लॉक के अन्तर्गत थाती–कठुड और बासर पट्टी के दर्जनों गांव मे ग्रामीणों की फसलों को जंगली जानवर चट कर रहे हैं और कास्तकार भुखमरी की कगार पर पहुंच चुके हैं। सामाजिक कार्यकर्ता मनमोहन डिमरी ने बताया कि 300 परिवार वाले भेट्टी गांव मे महिलायें बारी-बारी से रातों को ड्यूटि दे रही हैं।
गांव मे दिन मे बंदर तो रात को सुअर उनकी वर्ष भर की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं।
गांव की ही दर्शनी देवी, सौनी देवी,पूर्णा देवी, रुक्म देवी की माने तो महिलाएं अलग-अलग टोली मे मशाल लेकर रात भर ढ़ोल-पीटकर और पटाखे की आवाज से जंगली जानवरों को भगाने का काम कर रही है और विगत 15 दिनों से ये सिलसिला जारी है।
ये उनकी मजबूरी है। अगर न करे तो घर मे खाने के लाले पड़ सकते हैं। भेट्टी गांव के अलावा बासर पट्टी के तिसरियडा, कंडियाली, कुंडी ,सोला, भिगूंन, पौणी कंडारस्यु, रवाड़ा,डालगांव आदि मे भी यही हाल है।
अपनी फसलों की सुरक्षा के महिलाओं के निजी प्रयास का नाकाफी हैं। रात को छोटे-छोटे बच्चों को घर मे छोड़कर आखिर कब तक इस तरह से फसलों की सुरक्षा की जा सकती है! ग्रामीणों की मांग है गांव मे घेर बाड अथवा चकबंदी की जाए।
गांव की ही एक बच्ची ने रात को रतजगा कर रही महिलाओं के बीच खड़े होकर अपनी फरियाद एक विडियो के माध्यम से पर्वतजन को इस उम्मीद से भेजी है कि उनकी मांग सरकार तक पंहुच सके।