पुरोला
रिपोर्ट/नीरज उत्तराखंडी
पुरोला ब्लाक के सीमांत क्षेत्र सर बडियार के आठ गांवों के सीमांत वासियों की स्वास्थ्य सेवाओं का जिम्मा संभाले सर गांव में स्थिति एलोपैथिक चिकित्सालय में ताले लटके है ।
विभाग ने 5 लाख रुपये की विशाल धनराशि खर्च कर उसका रंग रोगन कर चमका तो दिया लेकिन डाक्टर व फार्मासिस्ट तो छोड़िए एएनएम तक न होने की वजह से अस्पताल जनता के लिए शो पीस बन कर रह गया है । विभाग ने यहां 5 लाख रुपये की विशाल धन राशि पुनर्निर्माण पर खर्च कर दिये, लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों की व्यवस्था करने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश रावत कहते है कि, यहां न तो कोई एएनएम रहती है और नहीं कोई फार्मासिस्ट| लेकिन विभाग ने बिल्डिंग रिपेयरिंग के लिए 5 लाख की विशाल धनराशि खर्च डाली वही स्टाफ की व्यवस्था पर कोई ध्यान नही दिया गया। बिल्डिंग किस काम कि जब अस्पताल में कोई स्टाफ नहीं रहता है । इस संबंध में कई बार विभाग व प्रशासन को अवगत करवाया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
बडियार क्षेत्र के सर गाँव के अस्पताल में फार्मासिस्ट व एएनएम न रहने से बीमार व प्रसव पीड़ित महिलाओं को डंडी कंडी से सड़क मार्ग पहुंचने के बाद बड़कोट अस्पताल पहुंचाना पड़ता है।
बहरहाल जनता के चिकित्सालय का भवन सफेद हाथी ही साबित हो रहा है।