रिपोर्ट/मंजू खत्री
पौड़ी:
जिला चिकित्सालय में गर्भवती महिलाओं के तीमारदारों को रक्तदान किए जाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि, जब तक तीमारदार ब्लड डोनेट नहीं कर रहे हैं, तब तक जिला चिकित्सालय से गर्भवती महिलाओं को छुट्टी नहीं दी जा रही है।
वहीं चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक का कहना है कि, आपातकाल में मरीजों को ब्लड की दिक्कत न हो, इसलिए तीमारदारों पर ब्लड डोनेट के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
चिकित्साधिक्षक का यह भी कहना है कि यदि दबाव नहीं बनाएंगे, तो कोई भी ब्लड डोनेट नहीं करेगा। हालांकि बिना ब्लड डोनेट किए गर्भवती महिलाओं को छुट्टी न दिए जाने की बात से उन्होंने साफ इनकार किया।
पीपीपी मोड पर संचालित हो रहा जिला चिकित्सालय एक बार फिर विवादों में है। इस बार विवाद ब्लड डोनेट के लिए दबाव बनाए जाने पर है।
जिला चिकित्सालय में प्रसव के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं के तीमारदारों पर रक्तदान किए जाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
पीपीपी मोड पर जाने के बाद से अभी तक जिला अस्पताल में करीब 80 प्रसव हो चुके है। बताया जा रहा है कि, सबदरखाल क्षेत्र से आई गर्भवती महिला आरती के तीमारदारों को जब अस्पताल प्रबंधन ने रक्तदान के लिए दबाव दिया तो आरती ने गांव से अपने भाई को बुलाकर रक्तदान करवाया।
सामाजिक कार्यकर्ता नमन चंदोला ने बताया कि, पीपीपी मोड पर संचालित होने के बाद जिला अस्पताल में अव्यवस्थाएं लगातार हावी होती जा रही है। सरकार ने अस्पताल के संचालन से हाथ पीछे खींच लिए है।
अब अस्पताल प्रबंधन मरीजों के तीमारदारों को ब्लड डोनेट के लिए मजबूर कर रहा है। जो कि गलत है। वहीं अस्पताल के चिकित्साधीक्षक डा. गौरव रतूड़ी ने कहा कि आपातकाल में मरीजों को रक्त की कमी न पड़े, इसके लिए गर्भवती महिलाओं के तीमारदारों को रक्तदान के लिए कहा जा रहा है।
डा. रतूड़ी ने कहा कि, ब्लड डोनेट के लिए हल्का दबाव बनाया जाता है। यदि दबाव नहीं बनाया जाएगा तो कोई भी रक्तदान नहीं करेगा। रतूड़ी ने इस बात से साफ इंकार किया कि, बिना रक्तदान किए अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जा रही है।