पौड़ी :
विभिन्न क्षेत्रों के प्रधान लोगों से संज्ञान में आया है कि, ग्राम पंचायतों के लिए विकास कार्यों हेतु जो धन राज्य व केंद्र सरकारो से आवंटित होता है। उसकी निकासी ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत प्रधान के संयुक्त हस्ताक्षर से होती है।
लेकिन कई जगह ऐसा न होकर ग्राम पंचायत प्रधान के हस्ताक्षर बिना धन निकासी हो रही है।इस कार्य को अंजाम व अमलीजामा पहनाने के लिए ग्राम पंचायत विकास अधिकारी ने प्रधान के डिजिटल हस्ताक्षर अपने कंप्यूटर में सुरक्षित रखे है।
जब भी ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को जरूरत पडे इसी डिजिटल हस्ताक्षर से समय समय पर निकासी होती है।
बेचारे प्रधान को पता भी नहीं लगता कि पैसा कहाँ जा रहा है।थोड़ा-बहुत देकर उसका मुह भी बन्द कर देते हैं।आजकल आरक्षण के कारण कई प्रधान ऐसे हैं जिनको इस डिजिटल हस्ताक्षर का दूर दूर तक भी जानकारी व बोध नहीं है।
कई महिला प्रधान ऐसी है जिनको अपने घरेलू कामकाज घास पात,लकड़ी,गाय बच्छी आदि से फुर्सत ही नहीं है।वे डिजिटल हस्ताक्षर के बारे में क्या जानेंगे।
अब अधिकाधिक ऐसा देखा गया है कि उनकी जगह उनके पति,ससुर प्रधान गिरी करते देखे जा सकते है।ऐसे मे गाँव विकसित कैसे हो सकते है।आप ही अंदाजा लगा सकते हो।
इन सभी बातों को दिल दिमाग में रखते हुए डिजिटल हस्ताक्षर से निकासी पर लगाम व रोक लगाने में ही गांव का विकास संभव हो सकेगा तथा सरकारी धन का दुरुपयोग पर अंकुश लगेगा।
कल अरविंद नेगी भैरव सेना ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट डालकर सबका ध्यान खींच लिया , हमारे द्वारा भी इसमें जानकारी ली गई तो अरविंद नेगी की पोस्ट को कुछ हद तक (75%) सही मानती है।
अरविंद नेगी लिटिल की पोस्ट
लूट लूट लूट इस वैश्विक महामारी में भी सरकारी धन की लूट आज मैं अरविंद नेगी उर्फ लिटिल जब कोटद्वार से ग्राम सभा, मंझोला,मलधार जयहरीखाल पहुंचा तो अखबारों और सोशल मीडिया में प्रचारित प्रसारित कि उत्तराखंड में वैश्विक महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार ने 20000 रुपए प्रधानो के खाते में डाल दिया है।
उत्सुकता वश मैंने अपनी ग्राम सभा प्रधान श्रीमती, माहेश्वरी देवी से बात करी तो प्रधान जी ने बताया पंचायत मंत्री जी आए थे और दो डिब्बे केमिकल छिड़काव के देकर गये हैं और साथ ही कुछ ग्राम पंचायत भवन के लिए बेड और बिस्तर लाने की बात कहकर गये हैं।
अब में अरविंद नेगी माननीय मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जी से विनम्र निवेदन करता हूं कि, आप अपने स्तर से जांच करवाईये कि, जब वैश्विक महामारी नियंत्रण के लिए आनन फानन में 20000 रुपये आवंटित हुए तो अभी तक स्थानीय ग्रामीणों को राहत क्यों नहीं मिली खंड विकास अधिकारियों को जवाब तलब किया जाए और इस 20000 फंडिंग का पूर्ण स्वामित्व ग्राम प्रधानों को दिया जाए।
खंड विकास अधिकारी पंचायत मंत्री के कंधों पर बंदूक रखकर इस वैश्विक महामारी में भी गिद्ध दृष्टि जमाए बैठे हैं। इस वैश्विक महामारी पीड़ित ग्रामीणों के लिए आवंटित सरकारी धन पर और इसमें ब्लाक प्रमुखों की मौन स्वीकृति है जो कि इस वैश्विक महामारी में एक निंदनीय और अमानवीय कृत्य है।