रिपोर्ट /हर्ष उनियाल
श्रीकोट गदेरे के उफान पर आने से जहाँ काश्तकारो के चेहरे पर मायूसी थी, वही जब आज तहसीलदार बालगंगा लाटा राजेंद्र सिंह रावत अपनी टीम के साथ मौका मुआवना करने आपदास्थल पहुंचे, उस समय ग्रामीणों में इस बात को लेकर काफी रोष था कि उनके खेत में आये रेत मलबे पर उनका हक़ है क्योंकि उनकी मेहनत तो बर्बाद हो चुकी है लेकिन अब जो भी मलबा उनके खेतो में पड़ा है वह उसका उपयोग अपने लिए करेंगे ।
जिसपर थोड़ी देर तकरार भी बढ़ी परन्तु बाद में मामला शांत हो गया , लेकिन जिस तरह से लगातार लंबे समय से चामा और चमोलगांव के निकट श्रीकोट गदेरे और बलगंगा के तट पर लगातार रेत और पत्थर को लेकर बहुतायत में खनन कर उसे स्थानीय बाजार में बेचा जा रहा है और राजस्व के नुकसान से साथ आपदा को भी न्योता दिया जा रहा हैं उसको लेकर ग्रामीणो में काफी रोष है।
तहसील बलगंगा लाटा तो मानो अवैध खनन करने वालो के लिए जन्नत बन गयी।सड़क के किनारे से लेकर नदी किनारे सबको चट कर दिया जा रहा है और प्रसाशन हाथ पर हाथ धरके बैठा हुआ है जैसे कोई बड़ी साथ गाँठ इन लोगों से हो।
जिस तरह से लोग तहसीलदार की टीम के सामने ही इस बात को कह रहे और रोष के साथ कह रहे की इस पर तत्काल रोक लगे, ऐसे में प्रसाशन के लोगो के कार्यो पर सवाल खड़ा होता है।
ग्राम प्रधान चमोलगांव हीरामणि जोशी और क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधि रावत जी ने इस बात को कहा की यहाँ पर लगातार रेत और पत्थर निकाला जा रहा है।
साथ ही साथ रावत जी ने इस बात का भी आरोप लगाया कि इससे संबंधित विभागों से शिकायत करने पर वह विभाग एक दूसरे पर उस मामले को डाल देते है।लिहाजा इस क्षेत्र के लोगों को न्याय की जरूरत है।
लेकिन यह आश्चर्य का विषय है कि जिस क्षेत्र में जनता अवैध खनन से त्रस्त है, वहाँ स्थानीय प्रसाशन इस बात से बेखबर जानबूझकर बना हुआ है जो की जनता के आरोपो से प्रतीत होता है।
वही स्थानीय काश्तकार आज भी पानी के बहाव को लेकर चिंतित है और प्रसाशन से उसके बहाव को बदलने की बार बार निवेदन करते नजर आये।