स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने रोडवेज कर्मचारियों के वेतन और रोडवेज की परिसम्पतियों के बंटवारे के मामले में दोनों राज्यों के परिवहन निगमों को बैठकर बंटवारा करने को कहा है।
न्यायालय ने निगम द्वारा पिछले छः माह से वेतन नहीं दिए जाने और अभी तक उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में रोडवेज की परिसम्पतियों का बंटवारा नहीं किए जाने के खिलाफ उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन की तरफ से दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई की। वीडियो कोंनफ्रेसनिंग के माध्यम से वित्त सचिव अमित नेगी, परिवहन सचिव रंजीत सिन्हा, नवनियुक्त महानिदेशक परिवहन नीरज खैरवाल उपस्थित हुए। खण्डपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को तय की है। उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने भारत सरकार के परिवहन सचिव को निर्देश दिए हैं कि जल्द से जल्द उत्तर प्रदेश परिवहन सचिव और उत्तराखंड परिवहन सचिव की मीटिंग कराकर परिवहन विभाग की सम्पतियों का बंटवारा कराया जाए । न्यायालय ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता से कहा कि वो एक सप्ताह के भीतर न्यायालय को बताएं कि कब तक दोनो प्रदेशों के परिवहन सचिवों की मीटिंग होगी।
आज सुनवाई के दौरान पूर्व के आदेश के क्रम में परिवहन सचिव द्वारा न्यायालय को बताया गया कि सरकार ने 34 करोड़ रुपया निगम के खाते में राज्य आकस्मिक निधि से ऋण के रूप में दिया है, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। पूर्व में न्यायालय ने परिवहन सचिव केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि परिसम्पतियों के बंटवारे के लिए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सचिवों की बैठक करें। आज इस पर न्यायालय के पूछे जाने पर केंद्र सरकार की तरफ से कोई सन्तोषजनक उत्तर नही दिया गया। न्यायालय ने कहा कि जब दो देशों के प्रधानमंत्रीयो की बैठक होती है तो विदेश सचिवों की मुख्य भूमिका होती है, लेकिन यहाँ न्यायालय के बार बार आदेश देने के बाद भी अभीतक मीटिंग नही हो पाई है, मीटिंग करने में कहाँ समस्या आ रही है ?
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई। मामले के अनुसार उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार उनके खिलाफ एस्मा लगाने जा रही है, जो नियम विरुद्ध है, सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर करती आई है, सरकार व परिवहन निगम न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रही है और न ही उनको नियमित वेतन दिया जा रहा है । उनको पिछले चार साल से ओवर टाइम भी नहीं दिया जा रहा है, रिटायर कर्मचारियों के देयकों का भुगतान नहीं किया गया है ।