रिपोर्ट /बिजेंद्र राणा
उत्तराखंड के ग्रामीण एवं दूरस्थ क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे उत्तराखंड के राजस्व उपनिरीक्षक आज भी बदहाली की मार झेल रहे हैं ।
आपको बता दे आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहे राजस्व उपनिरीक्षकों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं और ना ही ऐसी हाईटेक व्यवस्था है कि वे क्षेत्र में समुचित रूप से कार्य कर सकेंl
विज्ञान और तकनीकी के युग में हर चीज हाईटेक हुई है परंतु अभी भी प्रदेश की ग्रामीण पटवारी चौकियों का हाल आज भी जस का तस ही है।
वर्तमान पुलिस की तुलना में राजस्व उपनिरीक्षको के पास पूर्ण रुपेण संसाधनों की कमी है। सही संदर्भ में बात की जाए तो ब्रिटिश कालीन पुलिस व्यवस्था में काफी परिवर्तन आया है एवं पुलिस हाईटेक हुई है परंतु दूरस्थ क्षेत्रों में कार्य कर रहे राजस्व उपनिरीक्षको की स्थिति अभी भी जस की तस है।
आपको बता दें कि, प्रदेश में राजस्व उपनिरीक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतनमान सहित समान संसाधन उपलब्ध कराने की मांग करते हुए कर्मचारियों ने आवाज बुलंद की हैl
लंबे समय से भू अभिलेख सम्बन्धी कार्यो के साथ ही राजस्व क्षेत्रो में राजस्व निरीक्षक बगैर संसाधनों के ही पुलिस कार्यो को भी बखूबी निभा रहे हैं।
राजस्व उपनिरीक्षको के मुताबिक उनके पास ना ही अपराधों से निपटने के लिए संसाधन है और ना ही अपराधिक घटनाओं की तफ्तीश के लिए वाहन से लेकर शस्त्र और संचार सुविधाओं सहित सिपाहियों की व्यवस्था है।
राजस्व उपनिरिक्षको ने जल्द से जल्द पुलिस कार्यों के सापेक्ष एक समान वेतन और समान संसाधन उपलब्ध कराए जाने की मांग के संदर्भ में संयुक्त मजिस्ट्रेट चमोली को ज्ञापन पत्र दिया।
मांगे पूरी ना होने पर पटवारियों ने पुलिस कार्य संबंधित बस्ते तहसील में जमा करवाने की चेतावनी भी दी हैl
संयुक्त मजिस्ट्रेट चमोली को ज्ञापन सौंपने देने वाले कर्मचारियों में कुलदीप शाह -रा०उ० नि०माणखी, प्रदीप रावत -रा०उ० नि० मंगरोली, हरीश भंडारी–रा०उ०नि०फर खेत,आशुतोष सिंह – रा०उ०नि० घाट,पूजा शाह – रा०उ० नि० सैकोट,नीरज स्वरूप – रा०उ० नि० चमोली, अतुल बण्डवाल – रा०उ० नि० नन्द्रप्रयाग आदि राजस्व कर्मचारी उपस्थित थे।