रिपोर्ट – राजकुमार सिंह परिहार
भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक जिला है बागेश्वर, जिसके मुख्यालय बागेश्वर नगर में स्थित हैं। इसी नगर के बीचों-बीच स्थित है जिला पंचायत परिसर। 1985 से ही इसे जिला घोषित करने की मांग अलग-अलग पार्टियों और क्षेत्रीय लोगों द्वारा उठाई जाने लगी, और फिर, 15 सितंबर 1997 को उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने अल्मोडा के तात्कालिक जिला पंचायत अध्यक्ष श्री जवाहर सिंह परिहार के विशेष आग्रह पर बागेश्वर को उत्तर प्रदेश का नया जिला घोषित कर दिया।
आपको बताते चलें कि सूर्य तीर्थ व अग्नि तीर्थ के बीच स्थित बागेश्वर जनपद के इतिहास की यह पहली दुःखद घटना है, जब जिला पंचायत अध्यक्ष का पुतला उन्ही के सदन के नाराज़ सदस्यों द्वारा फूंका गया हो। पिछले 43 दिनों से जिला पंचायत कार्यालय परिसर में अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे जिला पंचायत के नौ सदस्यों के समर्थन में उतरे ग्रामीणों ने आज जिला पंचायत अध्यक्ष का पुतला दहन किया।
ग्रामीणों ने जिला पंचायत परिसर में आंदोलनरत सदस्यों के साथ मिलकर उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। एक दिन पूर्व आंदोलनरत सदस्यों ने जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी को बाकायदा एक ज्ञापन देकर पुतला दहन का ऐलान किया था। इस मौके पर धरना स्थल पर एक सभा का आयोजन भी किया गया।
जिसमें बोलते हुए जिला पंचायत के नाराज सदस्यों ने कहा कि पिछले 43 दिनों से कई मांगों व समस्याओं को लेकर उनका धरना जारी है लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए जैसे यह कोई मामूली बात है। उन्होंने जिला प्रशासन पर दबाव में काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इतने दिन होने के बाद भी प्रशासन का एक अधिकारी उनसे बात करने नहीं पहुंचा। उन्होंने कहा कि अपनी सरकार की धौंस पट्टी दिखा कर जिला पंचायत अध्यक्ष सभी का मुंह बंद कराकर अपनी मनमानी करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि उनका आंदोलन अब और उग्र होगा। जिसकी पूरी ज़िम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
43 दिनों में केवल 4 दिन कार्यालय पहुंची अध्यक्ष बसंती देव —
पिछले 43 दिनों से धरने पर बैठे सदस्यों ने अध्यक्ष पर कई गम्भीर आरोप आरोप लगाएँ हैं। उन्होंने कहा कि अब तक अध्यक्ष केवल चार दिन मात्र ही अपने कार्यालय पहुंची है इससे कैसे जनपद का विकास सम्भव है। चार दिन में कैसे कोई महीने भर के कार्य पूर्ण कर सकता है। प्रदेश की डबल इंजन वाली सरकार का डर दिखाकर वह मनमानी करना चाहती हैं जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नही किया जायेगा। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन लगातार सरकार के दबाव में उनकी उपेक्षा कर रहा है। उन्होंने बताया कि अभी उनके आरोपों पर जांच के नाम पर महज़ टालमटोल जिला प्रशासन कर रहा है। उन्होंने जिला प्रशासन के इस रवैये पर नाराज़गी व्यक्त करते हुए न्यायालय की शरण लेने की बात कही है।
शासन के तुग़लकी फ़रमान का विरोध —
जिला पंचायत में चल रहे विरोध के बाद भी निदेशक पंचायती राज के तुग़लकी फ़रमान का धरने पर बैठे सदस्यों ने विरोध जताते हुए इसे अपनी ही सरकार में अध्यक्ष बसंती देब की विफलता बताया है। बता दें कि संयुक्त निदेशक पंचायती राज राजीव कुमार नाथ त्रिपाठी ने एक आदेश जारी करते हुए श्रीमती अंशिका स्वरूप को अग्रिम आदेशों तक निदेशालय में सम्बद्ध करने एवं उनका वेतन जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी बागेश्वर के सापेक्ष बागेश्वर से आहरित किए जाने का तुग़लकी फ़रमान जारी किया है, जिसका धरने पर बैठे उपाध्यक्ष समेत सभी आठ सदस्यों ने विरोध जताते हुए इसे अपनी ही सरकार में जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देब की विफलता करार दिया है।
उसी आदेश पत्र में यह भी दर्शाया गया है कि डॉ सुनील कुमार कार्य अधिकारी जिला पंचायत बागेश्वर को श्रीमती स्वरूप के सम्बद्धीकरण की अवधि तक जिला पंचायत बागेश्वर के अपर मुख्य अधिकारी के पद का अतिरिक्त कार्यभार प्रदान किया जाता है, जिस हेतु उन्हें कोई अतिरिक्त वेतन भत्ते देय नही होंगे।
धरने पर बैठे सदस्यों ने इसका विरोध जताते हुए कहा कि जो व्यक्ति हमारे कार्यालय में कार्य ही न करता हो तो उसका वेतन यहाँ से क्यूँ दिया जाये। उन्होंने शासन की इस मनमाने फैसले का कड़ा विरोध जताते हुए इसे अध्यक्ष की बड़ी विफलता करार दिया है।