स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
विश्व में अपनी अलग पहचान रखने वाले उत्तराखंड में नैनीताल के कुमाऊं यूनिवर्सिटी जिओलॉजी(भूगर्भ विभाग)डिपार्टमेंट के सेवानिवृत्त सीनियर साइंटिस्ट का कहना है कि, हिमांचल के उस भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र की चट्टानें बहुत कमजोर स्थिति में हैं, रोड का कटान और वैज्ञानिक संरचनाओं का सामंजस्य जरूरी है ।
उन्होंने कहा कि, कमजोर हिमालय की पर्वतीय श्रृंखलाओं से जुड़े पहाड़ी क्षेत्र का कमजोर होना, स्थिर न होना और एलाईमेन्ट(संरेखण)ठीक न होना है । उन्होंने सुझाव दिया है कि सड़क निर्माण के दौरान वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखना जरूरी है ।
हिमांचल के किन्नौर में आज राष्ट्र राजमार्ग(एन.एच.5) में पहाड़ी से भूस्खलन ने सड़क पर चल रही बस और कारों को अपनी चपेट में ले लिया । हरिद्वार से हिमांचल जा रही रोडवेज की बस के ऊपर भारी मलुवा गिर गया ।
इस हादसे में चालक और परिचालक को तो बचा लिया गया लेकिन उसमें सवार 50 सवारियों को बचाने के लिए एन.डी.आर.एफ., एस.डी.आर.एफ., दमकल विभाग, पुलिस और प्रशासन जुगत में लगा है ।
इससे पहले भी किन्नौर में ही पहाड़ी से बड़ी बड़ी चट्टानों के गिरने से मिनी बस और पुल श्रतिग्रस्त हो गई थी । मिनी बस में सवार 9 लोगों की असमय जान चली गई थी । आज के हादसे में अभी तक लगभग 10 लोगों के हताहत होने की संभावना जताई जा रही है ।