स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने आय से अधिक सम्पति के मामले में आरोपी 1998 बैच के आई.ए.एस.आयकर अधिकारी स्वेताभ सुमन व अन्य की अपीलों में सुनवाई की। न्यायालय में आज सुनवाई पूरी नहीं होने पर कल भी सुनवाई जारी रहेगी।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई। मामले के अनुसार 2005 में एक गुमनाम शिकायती पत्र के आधार पर इनके खिलाफ दिल्ली में मुकदमा दर्ज किया गया था। उसके बाद सी.बी.आई.ने आयकर अधिकारी के चौदह ठिकानों पर 2015 में छापा मारा था, तब वे संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत थे।
जाँच में सी.बी.आई.को अधिकारी के पास से आय से 337 प्रतिशत ज्यादा सम्पति मिली थी। ये सम्पति गाजियाबाद, झारखंड, बिहार और देहरादून में थीं । इस सम्पति को उन्होंने अपनी माता और जीजा के नाम कर रखी थी।
उन्होंने अपनी माँ गुलाबो देवी के नाम दिल्ली में एक हौंडा सिटी कार भी फाइनेंस कराई थी । फाइनेंस कराने में जो दस्तावेज लगाए गए थे उनमें फोटो अपनी माँ की और पेपर किसी अन्य सम्पति के लगाए गए थे।
सी.बी.आई.की जाँच में यह तथ्य भी सामने आया था कि, सुमन ने गरीबों की मदद के लिए अरविंद सोसायटी का रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमे उन्होंने अपने पद का दुरप्रयोग करते हुए लोगो से दान डलवाया । बाद में उस धन को अपनी पत्नी और माता के खाते में ट्रांसफर कर लिया।
सी.बी.आई.कोर्ट में अभियोजन पक्ष की तरफ से 255 और बचाव पक्ष की तरफ से 8 गवाह भी पेस किये गए थे। स्पेशल जज प्रिवेंशन आफ करप्शन(सी.बी.आई.)देहरादून ने 13 फरवरी 2019 को इनको सात साल की सजा सुनाई और साथ मे इनपर तीन करोड़ सत्तर लाख चौदह रुपया का जुर्माना भी लगाया ।
कोर्ट ने इनकी माता को एक साल, जीजा और दो दोस्तो को चार चार साल की सजा सुनवाई थी। इस आदेश के खिलाफ इन्होंने उच्च न्यायालय में अपील दायर की जिसपर कल भी सुनवाई जारी रहेगी ।