यौन उत्पीड़न के आरोपी मुख्य अभियंता अयाज अहमद के गुपचुप प्रमोशन की पूरी तैयारी हो गई है, जबकि 7 जनवरी को ही कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग को यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करके तत्काल पत्रावली प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने अपने आदेश में कहा था कि विशाखा गाइडलाइन के अनुसार मुख्य अभियंता पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करके तत्काल जांच आख्या सहित पत्रावली प्रस्तुत करें, किंतु अधिकारियों ने कैबिनेट मंत्री के आदेश दबा दिए और अब आचार संहिता लगने के बाद अयाज अहमद की डीपीसी की भी तैयारी कर दी है।
गौरतलब है कि सितंबर 2020 में लोक निर्माण विभाग देहरादून की एक महिला कर्मचारी ने अयाज अहमद पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे और कहा था कि उन्होंने अपने केबिन में बुलाकर उनसे छेड़छाड़ की उस दौरान केवल दिखावे के लिए एक आंतरिक कमेटी बनाई गई थी, जिसमें सभी जांच करने वाले लोग पद में अयाज अहमद से जूनियर थे इसलिए अयाज अहमद के खिलाफ विभाग ने कोई भी प्रभावशाली अथवा जवाबदेही वाले कदम नहीं उठाए।
तत्कालीन मुख्य अभियंता हरिओम शर्मा ने एक इंटरनल कमेटी बनाई थी और 3 दिन के अंदर रिपोर्ट देने को कहा था अशोक कुमार के निर्देशन में यह कमेटी बनी थी, जिसमें लीगल सेल की कार्मिक अर्चना और वरिष्ठ सदस्य प्रेमलता और भावना उप्रेती शामिल थी।
सोशल एक्टिविस्ट अंकुर कुमार और धर्मवीर सैनी ने कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज सहित राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए यह जानकारी दी है कि इंटरनल कमेटी की रिपोर्ट को आरोपी द्वारा प्रभावित किया गया क्योंकि वह विभाग में इन सब से वरिष्ठ थे।
इंटरनल कमेटी की रिपोर्ट के बाद आरोपी अधिकारी को पौड़ी, रुद्रप्रयाग और चमोली के चीफ इंजीनियर के पद पर ट्रांसफर किया गया।
इस विषय में हरिद्वार के धर्मवीर सैनी और दिल्ली निवासी एडवोकेट अंकुर कुमार सहित तमाम लोग मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक तक को शपथ पत्र पर शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई।
शिकायतकर्ताओं ने इस प्रकरण की जांच किसी आईएएस महिला अधिकारी से कराए जाने की मांग की है तथा जब तक जांच नहीं होती, तब तक इनका ट्रांसफर या कुमाऊं मंडल मे संबद्ध करने की मांग की है ताकि जांच प्रभावित ना हो।
इस प्रकरण की जांच विशाखा गाइडलाइन तथा प्रीवेंशन प्रोहिबिशन एंड रिवर्सल एक्ट एंड रूल 2013 के अधीन की जानी चाहिए थी जो कि नहीं की गई।
सूत्रों के हवाले से पता लगा है कि अधीनस्थ संविदा कर्मी महिला को कार्यमुक्त किए जाने की धमकी दी जा रही है।
विभागीय अधिकारी भी इस प्रकरण में कर्मचारी आचरण सेवा नियमावली के तहत रिपोर्ट दर्ज कराने के पक्षधर हैं।
जबकि सरकार में शामिल कुछ अफसर और नेता आचार संहिता की आड़ में आरोपी को बचाने मे लगे हैं।
अब यह देखने वाली बात होगी कि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के आदेश के बावजूद जांच ना होने और आचार संहिता लागू होने के चलते शासन में बैठे अधिकारी क्या कार्यवाही करते हैं।