देहरादून। फैबरिक (कपडों) को खूबसूरत व आकर्षक बनाने के लिए कई तरह के कैमिकल रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि यह कैमिकल रंग मानव जीवन और पर्यावरण के लिए कितने खतरनाक साबित हो रहे हैं। हाल ही में श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के डीन रिसर्च ने खतरनाक कैमिकल रंगों के मानव जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को लेकर एक रिसर्च की है। इस रिसर्च के लिए उन्हंे भारत सरकार की ओर से पेटेंट प्रदान किया गया है।
नेचुरल एवम् सिन्थैटिक फाइबर, लैदर, प्लास्टिक, ऑयल, फैट्स, वैक्स, टिम्बर, पेपर, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में सबसे अधिक एसोडाइज़ का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। देश भर में गुजरात एसोडाइज़ उत्पाद व इस्तेमाल करने वाला अग्रणी राज्य है। यदि आंकड़ों पर गौर करें तो दुनिया भर में 1.3 मिलियन टन एसोडाइज़ का उत्पाद व इस्तेमाल हो रहा है जबकि भारत में यह आंकड़ा 8500 मिट्रिक टन एसोडइज़ की खपत हो रही है। काबिलेगौर है कि 23 जून 1997 को भारत सरकार 300 में से 70 खतरनाक एसोडाइज़ को प्रतिबंधित कर चुकी है।
प्रो. अरुण कुमार (डीन रिसर्च) श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय को भारत सरकार की तरफ से एक नया अविष्यकार (पेटेंट) अवार्ड किया गया। यह अविष्कार उनके द्वारा किये गए शोध विषय ”सैटालाइटिज्मः मध्यस्थ डिकलराइजेशन ऑफ एज़ोडाइज़“ पर किया गया। जो कि जैविक तरीकों से एजो़डाइज़ के विघटन की दुनिया में नई तकनीक व आधुनिक खोज़ है। जैसा कि हम जानते ही हैं कि रंगों का मानव जीवन में खास महत्व है, पर शायद हम यह नहीं जानते बहुत सारे रंग हमारे जीवन पर खतरनाक कैमिकल इस्तेमाल करने की वजह से प्रतिेकूल प्रभाव डालते हैं जिससे कि कैंसर, म्यूटेशन एवम् अन्य जीनोटौक्सिक बीमारियों का कारण बनते हैं। इसेके अलावा बहुत सारे माध्यमों से वे जैविक सम्पदा को भी नुकसान पहुंचाते हैं। यह शोध इस बात की तस्दीक करता है कि शोध में सुझाई गई विधि का प्रयोग कर समय रहते हम अपनी पीढ़ियों को इन बीमारियों से बचा सकते हैं। इस अविष्कार के लिए श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज, कुलपति डॉ. यू. एस. रावत., व कुलसचिव डॉ. दीपक साहनी ने शुभकामनाएं दीं . कुलाधिपति श्री महंत देवेंद्र दास जी महाराज ने कहा कि यूनिवर्सिटी के डीन रिसर्च बहुत सी शैक्षणिक एवम् प्रशासनिक जिम्मेदारियों में व्यस्त होने के बावजूद भी अपनी रिसर्च प्रोग्राम को जारी रखे हुए हैं। इसके लिए मैं उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूूॅ और उन्होंने डॉ अरुण कुमार को निर्देश भी दिया कि आप डीन रिसर्च हैं और आप विश्वविद्यालय के सभी फैकल्टी सदस्यों एवम् शोधर्थियों को मानव समाज के काम आने वाली नई नई विधियों की खोज के लिए प्रेरित करें। जिससे कि उत्तराखण्ड ही नहीं देश का भी शोध के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी स्थान हो सके।
डॉ अरुण कुमार वर्तमानम में प्रो. बायोटेक विभाग एवम् डीन रिसर्च श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के पद पर कार्यरत हैं। अब तक उनके 50 से अधिक रिसर्च पेपर राष्ट्रीय एवम् अन्तर्राष्ट्रीय जनरल मंे प्रकाशित हो चुके हैं, उनकी 3 पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। डॉ अरुण कुमार ने 4 बैक्टीरियल स्ट्रेंस की भी पहचान की है तथा उनके डीएनए स्क्विेंसेज़ को जापान, यूरोप, यूएसए एवम् भारत के विभिन्न जीन बैंकों में जमा कराया है जिससे कि इनको नई नई रिसर्च के लिए वैज्ञानिक जगत के लिए उपलब्ध कराया जा सके।