विगत दिनों में निपटे विधानसभा चुनाव में प्रदेश में सबसे हॉट विधानसभा लैंसडाउन रही, कारण था उत्तराखंड राजनीति के दिग्गज डॉक्टर हरक सिंह रावत की पुत्रवधू अनुकीर्ति गुसाईं रावत का लैंसडाउन विधानसभा से रणभूमि में उतरना। इस चुनाव में डॉक्टर हरक सिंह रावत की राजनीति भी दांव पर लगी है ।
कांग्रेस के 12 दावेदारों में सभी अनुकीर्ति के साथ नही थे जो थे भी वो अंदर ही अंदर जेसीबी मशीन से खाई खोदने में लगे थे,।
इसका कारण भी आपको बता देते हैं कि क्यो दावेदार अनुकीर्ति गुसाई रावत का साथ नही दे रहे थे,क्योंकि यदि अनुकीर्ति गुसाई रावत एक बार यहाँ से विधायक बनती है तो उसके बाद इन सब दावेदारो के लिये आगे टिकट पाना नामुकिन है और हमेसा के लिए अनुकीर्ति इस सीट पर काबिज हो सकती है।
12 फरवरी तक विधायक दिलीप सिंह रावत छिलबट आदि के साथ पूरी रणभूमि में सबसे आगे थे।राजनीति के विशेषज्ञों की माने तो 12 तक दिलीप सिंह रावत बम्पर वोटो से आगे बढ़ रहे थे लेकिन 12 के बाद खुद डॉक्टर हरक सिंह रावत ने फील्डिंग संभाली,जिससे कांग्रेस को फिफ्टी पर ला दिया।उंसके बाद 13 की रात्रि में दिलीप सिंह रावत के द्वारा कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ भिड़ने के कारण भाजपा का वोट बैंक और गिर गया।
अब जो आंकड़े आगे आ रहे उसमें नैनीडांडा में अनुकीर्ति आगे तो रिखणीखाल में फिफ्टी ,रथवाढाब ढोंटियाल मठली सारी में अनुकीर्ति काफी आगे बढ़ रही है तो ज़हरीखाल कुनजोली असनखेत में अनुकीर्ति काफी पीछे रही है लेकिन लैंसडाउन में फिफ्टी फिफ्टी रहा है ,इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अनुकीर्ति गुशाई रावत इस बार भाजपा के दस साल के तिलसिम को तोड़ने में कामयाब हो सकती है , जनता ने अनुकीर्ति गुसाईं रावत से काफी उम्मीदें भी पाली है फिलहाल अभी दिलीप व अनुकीर्ति का भविष्य मतपेटी में बन्द है जो दस मार्च को खुलेगी ।
अनुकीर्ति गुशाई रावत इसी विधानसभा की है और अनुकीर्ति हमेशा इस बात को कह रही थी कि वो अपने मायके के लिए कुछ करना चाहती है अब देखने वाली बात ये होगी कि अनुकीर्ति जीतने के बाद अपने वायदों पर खरा उतरती है या फिर अन्य नेताओं के जैसे वो भी जनता से दूरी बनाती है वैसे जनता का कहना है कि अनुकीर्ति युवा सोच है इसलिये वो विधानसभा क्षेत्र में अच्छा कार्य कर सकती है।