देहरादून। उत्तराखंड राज्य में शिक्षा का स्तर भले ही न बढ़े लेकिन घोटाले बहुत हुए है। कैग की एक रिपोर्ट ने राज्य में 443 घपले-घोटाले को लेकर बड़ा खुलासा किया है। अफसरों ने अभी तक इन घोटालों पर कार्रवाई करने की जहमत तक नहीं उठाई है।
कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि, 2010-11 से वर्ष 2019-20 के बीच उत्तराखंड शिक्षा विभाग में हुए 443 घोटालों में अफसरों ने कार्रवाई करना भी मुनासिब नहीं समझा है।
जिसको लेकर एक बार फिर सरकार घेरे में आ गई है, तो विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवालियां निशान उठ रहे है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में 64 उर्दू शिक्षकों की भर्ती में भी खेल का खुलासा हुआ है। पात्र न होने के बावजूद तीन अभ्यर्थी केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा के आधार पर नियुक्ति पा गए।
जबकि 31 अभ्यर्थियों को उत्तराखंड पात्रता परीक्षा में 90 फीसदी से कम अंकों के बावजूद सामान्य पदों पर नियुक्ति दे दी गई है। कैग ने इन भ्रष्टाचार और लापरवाही से जुड़े मामलों पर, शिक्षा विभाग की लापरवाही पर शासन को कड़ा पत्र भेजकर तत्काल कार्रवाई की अपेक्षा की है।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार कैग की नाराजगी के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी ने सभी सीईओ को कैग की 20 पेज की सूची भेजते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। देहरादून में वर्ष 2015-16 में हटाल में जीआईसी बनाने के लिए 1.46 करोड़ रुपये मंजूर हुए। विभाग ने जमीन के इंतजाम से पहले ही 45 लाख रुपये निर्माण एजेंसी जलनिगम को दे दिए।
तीन साल बाद 20 मई 2018 को यह काम शुरू हुआ। तीन साल तक 45 लाख रुपये जलनिगम के पास पड़े रहे। देहरादून स्थित एससीईआरटी में बिना टेंडर वाहन किराए पर लिए और जीएसटी के रूप में 66 हजार 906 रुपये ज्यादा लुटा दिए। शिक्षा निदेशालय ने उत्तरांचल लोक पुस्तकालय अधिनियम 2005 के तहत अधिसूचित न होने के बावजूद निजी लाइब्रेरी को 10 करोड़ दे दिए।
महानिदेशक कार्यालय ने बिना दर मंजूर कराए ही 2.74 लाख रुपये की खरीदारी कर डाली। टिहरी में डीईओ बेसिक कार्यालय ने 222 स्कूलों को बार-बार औपबंधिक मान्यता दी। इतना ही नहीं पुरोला के गुंडियात गांव जीआईसी में 4.8 लाख के वाउचर गायब। दून के रुद्रपुर हाईस्कूल में अपात्र शिक्षक को सत्रांत लाभ देकर सरकार को 17.92 लाख रुपये चूना लगाया।
उत्तरकाशी के बरेथी धरासू इंटर कालेज के कर्मचारी बीएस बिष्ट को 71 हजार के बजाए 73 हजार रुपये मासिक वेतन दे दिया। उत्तरकाशी के सौरा इंटर कालेज में कंप्यूटर निधि का उपयोग नहीं किया। वहीं 15 साल पुराने कंप्यूटर पर वर्तमान कीमत से ज्यादा मरम्मत पर खर्च। पिथौरागढ़ में डीईओ माध्यमिक को निर्माण कार्यों के लिए 3.22 करोड़ रुपये के बजट में 1.84 करोड़ रुपये मिल गए थे।
इसके बावजूद दो साल से काम शुरू ही नहीं कराए गए। चंपावत-चमोली में शिक्षक-कार्मिकों के एनपीएस के 1.59 करोड़ स्कूल प्रबंधन के खाते में रखे रहे। चमोली में एनपीएस के 32.74 लाख रुपये स्कूल प्रबंधन के खाते में जमा रहे।
अल्मोड़ा के सीईओ ने वर्ष 2015-16 में नई पेंशन योजना के तहत दिए गए अंशदान 3.38 करोड़ रुपये को सीआरए को हस्तांतरित नहीं किया। इस धन पर ब्याज का भी सही आकलन नहीं किया।