स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल) :-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने खानपुर से निर्दलीय विधायक चुने गए उमेश कुमार उर्फ ‘उमेश शर्मा’ के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए याची से 23 मार्च तक तथ्य सही करके न्यायालय पेश करने को कहा है ।
आज शुक्रवार होली का अवकाश होने के बावजूद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से याचिका की अर्जेंट सुनवाई की गई ।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पर्याप्त तथ्य न्यायालय में नहीं दे सके, जिसपर न्यायालय ने याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाया है । इन रिकार्ड को पेश करने के लिए, याचिकाकर्ता ने न्यायालय से समय की मांग की । इसपर न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 मार्च की तिथि निर्धारित की है ।
मामले के अनुसार लक्सर के देवकी कलान निवासी वीरेंद्र कुमार और जनता कैबिनेट पार्टी की अध्यक्ष भावना पांडे ने खानपुर से विधायक उमेश शर्मा के नामांकन में दिए गए शपथपत्र में कई तथ्य छुपाने का आरोप लगाया है ।
याचिका में उमेश शर्मा के खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन 29 आपराधिक मामलों की सूची देते हुए कहा गया है कि उमेश शर्मा ने केवल 16 मामलों की सूची ही शपथपत्र के साथ निर्वाचन अधिकारी के समक्ष पेश की है और मुख्य अपराधों को छुपाया गया है । इसलिये उन्हें विधायक की शपथ लेने से रोका जाए और चुनाव आयोग को उमेश शर्मा के खिलाफ जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत कार्यवाही करने के निर्देशित किया जाए । न्यायालय ने इन आरोपों से सम्बंधित रिकॉर्ड देने को कहा, जो आज याची नहीं दे सके । जिसपर न्यायालय ने याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाए । याचियों ने ये रिकॉर्ड पेश करने के लिए समय मांगा है । इस मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त को पक्षकार बनाया गया है ।