उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड विभाग में गबन के आरोपी अधिकारी को बचाने के लिए पूरे जोर लगा रहा है। साथ ही आरटीआई मांगे जाने पर भी गलत आरटीआई सूचना प्रदान कर रहा है।
जिसे लेकर एच०सी० शर्मा की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड ऊर्जा कामगार संगठन की नगरीय मण्डल कमेटी की एक बैठक कौलागढ़ में आहूत की गई।
बैठक का प्रमुख मुद्दा उत्तराखण्ड पॉवर कारपोरेशन के मानव संसाधन अनुभाग द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना मांगे जाने पर गलत तथा झूठी सूचना प्रदान करना तथा तथ्यों को छिपाना रहा।
बैठक में सदस्यों को अवगत कराया गया कि शासन द्वारा अपने पत्रांक 650/ 1 (2)/2019-05-41 / 2008 दिनांक 16 अप्रैल 2019 द्वारा प्रबन्ध निदेशक उपाकालि को एक कार्मिक द्वारा किये गये गबन के आरोप पर कार्यवाही करने हेतु आदेशित किया गया तथा कृत कार्यवाही से अवगत कराने को कहा गया। लगभग 4 साल बाद भी उक्त पत्र पर कोई कार्यवाही न होने के फलस्वरूप संगठन के महामंत्री सोहन लाल शर्मा द्वारा दिनांक 30.11.2021 को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत लोक सूचना अधिकारी उपाकालि से सूचना मांगी गई कि उक्त शासन के पत्र पर क्या कार्यवाही हुई। जिसके प्रतिउत्तर में उपमुख्य कार्मिक अधिकारी (मा०स०) के पत्रांक 507 दिनांक 27.01.2022 द्वारा अवगत कराया गया कि उक्त प्रकरण पर जांच अभी प्रक्रियाधीन है। जबकि उपाकालि प्रबन्धन द्वारा दिनांक 16-09-2021 को आरोपी कार्मिक की पदोन्नती कर दी गई तथा पदोन्नती किये जाने से पूर्व सम्पन्न होने वाली डी०पी०सी० में उक्त उपमुख्य कार्मिक अधिकारी (मा०सं०) द्वारा प्रश्नगत जांच का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
यहाँ बड़ा सवाल यह बनता है कि यदि 2019 के उक्त शासन के पत्रांक पर दिनांक 27.01.2022 को जांच प्रक्रियाधीन थी तो आरोपी कार्मिक को पदोन्नती किस प्रकार कर दी गई और साक्ष्यों के अनुसार यदि कोई जांच लम्बित नहीं है तो सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत झूठी सूचना क्यों दी जा रही है तथा उपाकालि का मानव संसाधन अनुभाग दोषी कार्मिक को क्यों बचाने की कोशिश कर रहा है।
संगठन द्वारा इस अवसर पर यह तय किया गया कि जल्द ही संगठन के मांगे जाने पर झूठी सूचना उपलब्ध कराई जा रही है। इस सम्बन्ध में सचिव (ऊर्जा) से मिला जायेगा तथा मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड शासन तथा उत्तराखण्ड सूचना आयोग को भी पत्र प्रेषित किया जायेगा कि झूठी सूचना देने वाले अधिकारी पर यथाशीघ्र कार्यवाही की जाये।
साथ ही वर्ष 2019 से वर्ष 2022 तक शासन के आदेशों पर निगम प्रबन्धन कार्यवाही नहीं कर रहा है तो आम उपभोक्ताओं के पत्रों तथा संगठन के पत्रों पर कितनी गम्भीरता से विचार किया जाता होगा जिसके लिये उक्त शासन के पत्र पर भी कार्यवाही की जाये।
बैठक में अवतार सिंह बिष्ट, मनोज नेगी, विकास, धर्मपाल, वीरेन्द्र लाल, राजेश सैनी, रीतू रानी आदि उपस्थित रहें।