केंद्रीय वन मंत्रालय ने कालागढ़ डिवीजन के डीएफओ तथा लालढाँग रोड पर आपत्ति जताई है।
केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की की केंद्रीय प्राधिकार संपन्न कमेटी ने राजाजी टाइगर रिजर्व के बफर जोन में स्थित लालढाँग-चिल्लरखाल रोड के 9 किलोमीटर हिस्से को बिना इजाजत के पक्का करने पर आपत्ति की है। इसके साथ ही कालागढ़ डिवीजन के डीएफओ किशनचंद के विरुद्ध रिपोर्ट के बावजूद में तैनाती देने पर भी आपत्ति जताई है।
सिईसी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार रिजर्व क्षेत्र में वन्य जीव संरक्षण कानून 1972 के तहत बिना कानूनी इजाजत के सड़क गतिविधि नहीं हो सकती । जिसके हिसाब से पौड़ी जिला प्रशासन को राजाजी टाइगर रिजर्व के एक छोटे हिस्से की मरम्मत करने की इजाजत थी लेकिन वन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ताक पर रखते हुए बिना सूचना दिए 9 किलोमीटर तक की सड़क को पक्का कर दिया।
साथ ही कॉर्बेट से अवैध निर्माणों में संलिप्तता के चलते निलंबित चल रहे डीएफओ किशनचंद की तैनाती को लेकर भी सीईसी ने आपत्ति दर्ज कराई है।
सेंट्रल एंपावर्ड कमेटी ने राजाजी टाइगर रिजर्व और कार्बेट टाइगर रिजर्व में अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक तैनात डीएफओ वे सभी वन अधिकारियों के नाम और उनके पद आदि की सूची तलब की है। सीईसी ने अपर मुख्य सचिव व सचिव वन के नाम व उनके राजाजी टाइगर रिजर्व प्राइवेट रिजर्व दोनों की डायरी व जांच रिपोर्ट भी तलब की है।
सीईसी ने प्रदेश के प्रमुख सचिव वन पर्यावरण एवं जल वायु परिवर्तन से कहा है कि वे इस गड़बड़ियों में शासन द्वारा या शासन द्वारा गठित जांच समिति के संबंधित अफसरों को दिए गए कारण बताओ नोटिस के प्रतिलिपियाँ भी उपलब्ध कराएं। सीईसी ने वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य संरक्षक एक कार्बेट टाइगर रिजर्व में विभिन्न कामों के लिए कैंपा से फंड के लिए 29 अक्टूबर 2021 को लिखे पत्र की प्रति भी मांगी है।