जी०बी० पन्त इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एण्ड टैक्नोलॉजी घुड़दौड़ी, पौड़ी गढ़वाल के बर्खास्त पूर्व कुल सचिव सन्दीप कुमार के साथ भ्रष्टाचार में लिप्त हम सफर साथी गिरीश कुमार अवस्थी की संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में लोक सेवा आयोग के पूर्व निलंबित अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के माध्यम से धोखाधड़ी से प्राप्त कुलसचिव के पद पर हुई नियुक्ति भी जांच के दायरे में हैं l
गिरीश कुमार अवस्थी की प्रथम नियुक्ति वर्ष 1992 में लेखाकार के पद पर जी०बी० पन्त इन्जीनियरिंग कॉलेज घुड़दौड़ी, पौड़ी गढ़वाल में हुई थी।
वर्ष 1998 में अवस्थी इसी कॉलेज में सहायक कुल सचिव के पद पर नियुक्त हुए एवं नियुक्ति के प्रारम्भिक वर्षो से ही कॉलेज में करोड़ों रूपयों के उपकरणों की खरीद-फरोक्त एवं शिक्षकों / कर्मचारियों के विभिन्न पदों पर हुई नियुक्तियों में धांधली के लिए चर्चित रहे है। विभिन्न संगठनों के द्वारा शासन / प्रशासन से भ्रष्टाचार की शिकायतें की गई। जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री जी द्वारा संज्ञान लेते हुए आयुक्त गढ़वाल मण्डल से कॉलेज में हो रही अनियमितताओं की जाँच कराने का निर्णय लिया गया। आयुक्त गढ़वाल मण्डल द्वारा अपनी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया :-
1- गिरीश कुमार अवस्थी द्वारा डॉ० देवल के साथ मिलकर करोड़ों रूपये के उपकरणों की खरीद-फरोक्त करते हुए कॉलेज में रिक्त कुल सचिव के पद पर अपनी अवैध नियुक्ति करवायी गई।
गिरीश कुमार अवस्थी कॉलेज में सहायक कुल सचिव (वेतनमान 6500-10500) में कार्यरत थे। कुल सचिव के पद पर नियुक्ति हेतु जारी विज्ञप्ति के अनुसार अभ्यर्थी को उप कुल सचिव (वेतनमान 8000-13500) के पद पर 7 वर्ष का कार्य अनुभव अनिवार्य था,जिसके कारण वे कुलसचिव के पद हेतु अर्ह नहीं थे। डॉ० देवल द्वारा अवस्थी के साथ संलिप्त होकर उन्हें कुल सचिव के पद पर अवैध नियुक्ति प्रदान की गयी।
(क) आयुक्त गढ़वाल मण्डल की प्रारम्भिक जांच में ही उपरोक्त मामलों का खुलासा होने के कारण शासन द्वारा अपर सचिव तकनीकी शिक्षा उत्तराखण्ड स्तर पर विस्तृत जाँच करायी गयी। जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लिखित किया गया है कि डॉ० एम0एल0 देवल के साथ मिलकर संदीप कुमार एवं गिरीश कुमार अवस्थी द्वारा उपकरणों की खरीद-फरोक्त मं करोड़ो रूपयों की हेराफेरी करते हुए संस्थान में मानकों के विपरीत शिक्षकों / कार्मिकों की नियुक्तियों में गम्भीर अनियमिततायें की गई है।
उपरोक्त जांच आख्या के क्रम में माननीय मुख्यमंत्री / अध्यक्ष प्रशासकीय परिषद की दिनांक 07-09-2007 को सचिवालय में सम्पन्न बैठक में निर्णय लिया गया कि संस्थान के प्रचार्य डॉ० देवल को तत्काल प्रभाव से प्राचार्य पद से हटाते हुए अवैध रूप से नियुक्त कुल सचिव गिरीश कुमार अवस्थी एवं ट्रेनिंग प्लेसमेन्ट अधिकारी संदीप कुमार के सम्बन्ध में शासन स्तर पर पुनः विस्तृत जाँच की जाये।
(ख) प्राचार्य जी0बी0 पन्त इन्जीनियरिंग कॉलेज घुड़दौड़ी पौड़ी गढ़वाल द्वारा गिरीश कुमार अवस्थी की शिकायतों की गम्भीरता को देखते हुए कार्यालय आदेश सं0-231 / प्रा०स०तक०शि० / कैम्प / 2009 दिनांक 10-11-2009 के द्वारा श्री गिरीश कुमार अवस्थी कुल सचिव जी०बी० पन्त इन्जीनियरिंग कॉलेज घुड़दौड़ी पौड़ी गढ़वाल को निलंबित करते हुए भ्रष्टाचार की जांच हेतु अपर आयुक्त गढ़वाल मण्डल को जाँच अधिकारी नामित किया गया थाl
जाँच अधिकारी की जाँच आख्या एवं उपलब्ध कराये गये साक्ष्यों तथा गिरीश कुमार अवस्थी द्वारा आरोपों के सम्बन्ध में दिया गया अपना प्रतिउत्तर दिनांक 19-03-2010 एवं दिनांक 29-06-2010 का सम्यक परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान संस्थान में व्याप्त अनियमितताओं की जांच सम्बन्धी आयुक्त गढ़वाल मण्डल की आख्या पत्र दिनांक 16-08-2010 तथा रिट याचिका संख्या-89 / 2006 डॉ0 सुरेन्द्र सिंह रावत बनाम राज्य व अन्य में मा0 उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड नैनीताल द्वारा पारित निर्णय दिनांक 15-07-2010 का भी संज्ञान लिया गया। जिसमें गिरीश कुमार अवस्थी की कुल सचिव के पद पर की गई नियुक्ति को अवैध माना गया, के क्रम में अवस्थी की कुल सचिव पद पर की गईl
नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुए दिनांक 10-11-2009 को किये गये निलम्बन आदेश को समाप्त करते हुए सहायक कुल सचिव के पद पर पदस्थापित किया गया।
(ग)गिरीश कुमार अवस्थी द्वारा 8 जुलाई 2014 को उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार हेतु प्रकाशित कुल सचिव के पद की विज्ञप्ति में पुनः कुल सचिव के पद पर आवेदन किया गया। जिसमें लोक सेवा आयोग के पूर्व चर्चित अनुभाग अधिकारी संजीव चर्तुर्वेदी के साथ मिलकर अपनी पूर्व सेवाओं की अनुशासनात्मक / निलम्बन से सम्बन्धित आरोपों को छिपाते हुए सेवा से सम्बन्धित फर्जी तथ्य प्रस्तुत करते हुए कुलसचिव के पद पर अपना चयन करवा लिया गया एवं एक वर्ष की परीविक्षा अवधि पूर्ण होने के उपरान्त पुनः शासन को अपनी पूर्व सेवा से सम्बन्धित निलम्बन / अनुशासनात्मक कार्यवाही के सम्बन्ध में संस्थान द्वारा पूर्व प्रेषित वास्तविक सूचना से सम्बन्धित तथ्य छिपाते हुए संदीप कुमार के साथ मिलकर धोखाधड़ी करते हुए केवल सहायक कुल सचिव पद पर की गई सेवाओं के दृष्टिगत कॉलेज स्तर पर अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रचलित / प्रस्तावित नहीं है की झूठी सूचना संदीप कुमार के द्वारा प्रेषित की गई।
इस सम्बन्ध में गिरीश कुमार अवस्थी द्वारा लोक सेवा आयोग को प्रेषित आवेदन पत्र के पृष्ठ-3 के क्रमांक-3 “चरित्र की टिप्पणी” में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि राज्य सरकार या किसी स्वायतशासी संस्था द्वारा पदच्युत / निलंबित व्यक्ति सेवा में किसी पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा और यदि वह झूठे तथ्य प्रस्तुत कर नियुक्ति प्राप्त कर भी लेता है तो वास्तविक तथ्य छिपाने के आधार पर उसकी नियुक्ति निरस्त की जा सकती है। “बर्खास्त कुलसचिव संदीप कुमार के भ्रष्टाचार के कारनामों / 59 शिक्षकों की अवैध नियुक्तियों की वर्तमान समय में एस०आई०टी० द्वारा जांच गतिमान है।” इसी प्रकार संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी की अवैध नियुक्ति का प्रकरण भी लोक सेवा आयोग के पूर्व अनुभाग अधिकारी द्वारा देर-सवेर एस०टी०एफ के सम्मुख उगला जा सकता है।