थाने में लेन-देन के वीडियो से उत्तराखंड पुलिस पर सवालिया निशान
उत्तराखंड पुलिस आपका मित्र का बहुचर्चित स्लोगन अब मित्र पुलिस की जगह मांडवाली पुलिस के नाम से चलने लग सकता है। यूं भी उत्तराखंड में पुलिस का रौब तो उसी दिन खत्म हो गया था, जिस दिन से उत्तराखंड राज्य बना। राज्य बनने से लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर कई बार पुलिस पर सवालिया निशान भी खड़े हुए कि आखिरकार पुलिस जनता की सेवा सुरक्षा के लिए है या थाने में बैठकर मांडवाली करने के लिए।
पर्वत जन को एक वीडियो मिला है, जिसमें हरिद्वार के बहादरा थाने के गैस प्लांट चौकी में बैठकर पुलिसकर्मी के सामने काम करवाने के लिए दी गई घूस वापस करने से संदर्भित बातें हो रही हैं। मंत्री से काम करा लाने के एवज में घूस लेने वाला पुलिस के सामने तीन किश्तों में अलग-अलग धनराशि देने की बात कर रहा है। साथ ही 26 जुलाई 2017 को 5 लाख रुपए का एक ऐसा चैक भी पुरुषोत्तम बुंदवाल नाम के व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित है, जिस पर 5 लाख की धनराशि अंकित है। यह चैक बिष्ट कम्युनिकेशन के नाम पर काटा गया है। उक्त चैक स्टेट बैंक ऑफ पटियाला गोपेश्वर चमोली का है।
एकाउंट नंबर एमएसबी 55142079050 के चैक संख्या 007129 का यह चैक इसी पुरुषोत्तम नाम के व्यक्ति द्वारा वापस करने की बात सामने आ रही है। इस व्यक्ति द्वारा काम करने के एवज में साढे सात लाख रुपए लिए जाने और बाद में उत्तराखंड सरकार के मंत्री द्वारा काम न करने के कारण अब उक्त धनराशि वापस करने की बात सामने आई है।
यह बवाल तब शुरू हुआ, जब 5 लाख रुपए का चैक बाउंस हो गया और तब रिश्वत देने वाला आदमी उक्त व्यक्ति को पकड़कर चौकी में लाया, जहां पुलिस के साथ मिलकर मांडवाली हो रही है।
पर्वत जन के पास उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार पौड़ी के सौरभ नाम के व्यक्ति ने पुरुषोत्तम को कुल साढे पांच लाख रुपये दिए थे। बदले मे उसे बीएचईएल हरिद्वार मे नौकरी दिलाने की बात कही गई थी। दलाल ने इसके लिए मंत्री से भी सिफारिशी पत्र लिखा दिया था। लेकिन युवक की नौकरी न लगने पर वह पैसे वापस करने से मुकर गया।युवक को चौकी ले जाया गया तो उसने कुछ चेक दिए लेकिन वे भी बाउंस हो गये थे। बाउंस कराने के लिए यह हिंदी तथा अंग्रेजी के अंक तथा शब्दों को मिलाकर लिखता था।ताकि उस पर बाउसिंग की कार्रवाई न हो।
पर्वतजन के पास उपलब्ध समझौता नामा की प्रति के अनुसार यह समझौता चौकी मे हुआ था लेकिन अब ये लोग मंत्री की धौंस दिखा रहे हैं।पुरषोत्तम तथा दूसरे पक्ष से पर्वतजन की बातचीत से ऐसा लगता है कि मंत्री को दलालों ने अंधेरे मे रख रकम ऐंठ ली है। पुरुषोत्तम से जब बात की गई तो उसने स्वीकार किया कि उसने यह पैसे उपनल में नौकरी लगाने के नाम पर लिए थे लेकिन उपनल बंद होने के बाद उसने एक मंत्री से बीएचईएल के लिए पत्र लिखाया था।पुरषोत्तम राजीव गांधी ब्रिगेड मे उपाध्यक्ष था और अध्यक्ष मनवर हसन से भी नौकरी लगाने के नाम पर पैसे ऐंठ लिए थे।इसका नौकरी के नाम पर पैसे लेने का पुराना धंधा है। आजकल यह भाजपा के एक और मंत्री के करीबी लोगों मे शामिल है। पुरषोत्तम गुलदस्ता लेकर मंत्री के साथ फोटो खिंचाता था और बाहर प्रचारित करता था।
बहरहाल मामले में कार्रवाई करने के बजाय पुलिस की मिलीभगत भी आपतिजनक है। जो पुलिस अपराधियों को पकडऩे में नाकाम हो, जिस राज्य में हत्या, लूट, डकैती, बलात्कार हो रहे हों, वहां की पुलिस अगर थाने में बैठकर अगर इसी तरह की मांडवाली कर रही है तो प्रदेश में अपराध बढऩा स्वाभाविक है।सवाल सरकारों पर भी है जो बैकडोर भर्ष्टाचार को बढावा देती है।सभी नौकरियां के लिए सही विज्ञापन जारी करके भर्ती कराए तो ऐसे दलाल पैदा ही नही होंगे।