अनुज नेगी
पौड़ी।जनपद पौड़ी के ग्राम प्रधान बेड़गांव पर अनुसचित जाति जनजाति अधिनियम के तहत जातिसूचक शब्दों के प्रयोग करने का आरोप लगाने व उन पर मुकदमा दर्ज कराने वाला व्यक्ति नेपाली मूल का निकला है।
बतादे कि गत वर्ष जनवरी माह में ग्राम प्रधान बेड़गांव प्रमोद रावत पर गांव के ही एक व्यक्ति व उसकी मां ने अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के तहत जातिसूचक शब्दों को प्रयोग करने का आरोप लगाया गया था।
प्रधान प्रमोद रावत का आरोप था कि उन्होंने वर्ष 2021 में गांव के चन्द्रमोहन व उसके परिवार पर फर्जी तरीके से अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र बनवाने की शिकायत जिलाधिकारी से की थी। इसके बाद जनवरी माह में चन्द्रमोहन ने प्रधान पर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करवाया गया था।फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनवाने में क्षेत्र के पटवारी की संलिप्तता सामने आई है। अपने विभाग के कर्मचारी को बचाने के लिए प्रशासन ने लगभग दो साल तक इस जांच को दबाए रखा। यहां तक की मुख्यमंत्री कार्यालय से जाँच के आदेश होने पर भी प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की। अब नव नियुक्त जिलाधिकारी डा. आशीष चौहान ने इस मामले में फिर से जांच के निर्देश दिए जिसके बाद पूरे प्रकरण का खुलासा हुआ है। तहसीलदार पौड़ी ने जाँच में पाया कि जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने वाले चन्द्रमोहन के पिता वीर बहादुर सालों पहले नेपाल से यहां इस गांव में आकर रहने लगा था। उससे पास के ही गाँव की एक अनुसचित जाति की युवती से विवाह किया था। वर्ष 1977 में उसे आवासीय प्रयोजन के लिए भूमि का पट्टा स्वीकृत किया गया। बाद उसने गाँव के परिवार रजिस्टर में अपने परिवार का नाम दर्ज करवाया। इसके बाद से ही उसे तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाने लगा। यहां तक कि उसने क्षेत्र के पटवारी से गलत रिपोर्ट बनवा अपना स्थाई निवास व अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र भी बनवा लिया। तहसीलदार ने माना कि बिना इबर्टसन बंदोबस्त की नकल के यह जाति प्रमाणपत्र बनवाया गया। भूमि प्रबंध कार्यालय से इस बात की पुष्टि हुई है।
जांच में पाया गया कि पटवारी ने बिना बंदोबस्त नकल देखे ही नेपाली व्यक्ति को उत्तराखंड का स्थाई प्रमाणपत्र के साथ ही अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र बनवाने की संस्तुति की थी। इस आधार पर उसे स्थाई निवास प्रमाणपत्र व अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी किया गया। प्रशासन को शिकायत की जांच में लगभग दो साल का वक्त लगा। यहां खास बात यह कि अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाणपत्र के जरिये ही चन्द्रमोहन गांव का वार्ड सदस्य तक बन गया।