उत्तराखंड की राजनीति में भाईयों की लड़ाई पुरानी नहीं है। यहां कुर्सियां कब्जाने से लेकर संपत्तियां कब्जाने तक तमाम तरह के किस्से हर दिन होते ही रहते हैं। ७ दिसंबर २०१७ को जब डबल इंजन की सरकार ने गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान स्थानांतरण कानून को सदन के पटल पर रखा तो डबल इंजन की सरकार से लेकर भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने भी जमकर अपनी पीठ थपथपाई कि उन्होंने आज कमाल कर दिया है। इस स्थानांतरण कानून का भविष्य में क्या हश्र होगा, यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा, किंतु जिस स्थानांतरण कानून पर आज भाजपा अपनी पीठ थपथपा रही है, आज उन्हें यह भी जवाब देना चाहिए कि इस स्थानांतरण कानून को रद्दी की टोकरी में डालने वाले विजय बहुगुणा का अब भारतीय जनता पार्टी क्या करेगी?
२०१२ के विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले दोबारा मुख्यमंत्री बनाए गए जनरल भुवनचंद्र खंडूड़ी तब लोकायुक्त कानून और स्थानांतरण एक्ट लगाकर रातोंरात हीरो बन गए थे। खंडूड़ी के निर्णय का बड़ा असर भी हुआ, जब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ३२ तो भाजपा ३१ सीट लाने में कामयाब रही। तब कांग्रेस से मुख्यमंत्री बनने वाले भुवनचंद्र खंडूड़ी के फुफेरे भाई विजय बहुगुणा ने मुख्यमंत्री बनते ही सबसे पहले खंडूड़ी सरकार द्वारा बनाए गए लोकायुक्त कानून और स्थानांतरण कानून को रद्द कर अपनी पारी की शुरुआत की थी।
आज भारतीय जनता पार्टी के जो लोग इस स्थानांतरण कानून को पुन: लाने पर बड़ी-बड़ी बातें हांक रहे हैं, तब इन लोगों ने विजय बहुगुणा को पानी पी-पीकर गालियां दी थी कि भ्रष्टाचार को संरक्षण देने वाले विजय बहुगुणा ने भाजपा के अच्छे निर्णयों को पलट दिया है। आज विजय बहुगुणा भाजपा के साथ हैं और स्थानांतरण कानून को जमीन पर उतारने वाले उनके फुफेरे भाई जनरल भुवनचंद्र खंडूड़ी पहले से ही भारतीय जनता पार्टी में हैं। आज जो मंत्री विधायक इस मुद्दे पर बड़ी-बड़ी बातेें कर रहे हैं, ये इसी तरह की बातें २०११ के चुनाव में तब भी कर चुके थे, जब भुवनचंद्र खंडूड़ी इस कानून को बनाकर लाइम लाइट में आए थे।
बहरहाल, बड़े भाई भुवनचंद्र खंडूड़ी के काम को बिगाडऩे वाले विजय बहुगुणा के गलत काम को सुधारकर फिलहाल त्रिवेंद्र रावत ने दोनों भाईयों के बीच मचे झगड़े को थोड़ा सुलटा जरूर दिया है।